लखनऊः पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि देश की आजादी में साहित्यकारों की भूमिका अविस्मरणीय है। उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से लोगों में जोश भरकर आजादी की अलख जलाई थी। हम सब आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन हम सभी आज भी भ्रष्टाचार रूपी गुलामी से घिरे हुए हैं, जिन्हें दूर करने का दायित्व भी हम सभी पर है।
मंत्री श्री सिंह भाषा संस्थान के सहयोग से अनुरागिनी संस्था द्वारा आईसीसीएमआरटी सभागार में आयोजित स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी साहित्यकारों की भूमिका विषय दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनुरागिनी संस्था का देश के आजादी में साहित्यकारों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का यह आयोजन सराहनीय है। वर्तमान सरकार का प्रयास है कि लोग साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक रूप से मजबूत हो, अपनी परंपराओं का पालन करें। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव परिवहन एल वेंकटेश्वर लू ने कहा कि जिस प्रकार साधनहीन होकर भी साहित्यकारों ने देश की आजादी की अलख जगाई, उसी प्रकार हम भी गांव-गांव जाकर उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करें।
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उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति सच्चाई के मार्ग का अनुसरण नहीं करता, तब तक उसके प्रयास निष्फल ही होंगे। इस अवसर पर अनुरागिनी के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में अनुरागिनी संस्था ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संगोष्ठी का आयोजन किया है। जिसमें देश-विदेश के दस अतिथि वक्ताओ ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। वक्ता डाॅ. करुणा पाण्डेय एवं डाॅ. महेश कुमार पांडेय बजरंग ने अपने वक्तव्यो के माध्यम से देश की आजादी में मुंशी प्रेमचंद, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, शरद चंद, वीर सावरकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, माखन लाल चतुर्वेदी द्वारा देश प्रेम पर लिखित गीत उपन्यास पर प्रकाश डाला।
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