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आसान नहीं होगी स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए फाजिलनगर की राह, जातिगत समीकरण के बावजूद मिलेगी कड़ी चुनौती

कुशीनगरः जिले के फाजिलनगर विधानसभा सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य का जाना भले ही उन्हें आसान जीत का एहसास करवा रहा हो, लेकिन उतना आसान नहीं है। यहां के जातिगत और राजनीतिक समीकरण कुछ और ही बयां कर रहे हैं। लगातार दो बार विधायक रह चुके गंगा सिंह कुशवाहा के पुत्र सुरेंद्र सिंह कुशवाहा से दो-दो हाथ करना स्वामी प्रसाद मौर्या के लिए महंगा न पड़ जाए। आंकड़े बताते हैं कि फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र में चनऊ और कुशवाहा जातियों की अधिकता है।

जातिगत समीकरणों के लिहाज से यह क्षेत्र स्वामी प्रसाद मौर्य के काफी अनुकूल दिख भी रहा है। बावजूद इसके भाजपा से घोषित प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह कुशवाहा यहां के स्थानीय विधायक गंगा सिंह कुशवाहा के पुत्र हैं। गंगा सिंह कुशवाहा के प्रभाव का अंदाजा भी केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि वे यहां से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं। पहली जीत वर्ष 2012 में उन्हें तब मिली थी जब भाजपा में मोदी मैजिक नहीं था। इसके बाद इनका कद और भी बढ़ा। वर्ष 2017 की बड़ी जीत के बाद इनका प्रभाव बढ़ता ही गया।

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ज्ञातव्य हो कि गंगा सिंह कुशवाहा जनसंघ के जमाने से ही आरएसएस के करीब रहे हैं। यह विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य के रूप में जाने जानी जाती है। परिसीमन के बाद 2012 के विधानसभा सभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर गंगा सिंह कुशवाहा सपा के लहर के बावजूद लगभग पांच हजार से चुनाव जीतकर विधानसभा सभा पहुंचे। इसके बाद से यह 2017 में सपा के प्रत्याशी को लगभग 42 हजार मतों से हराकर दोबारा विधानसभा पंहुचे। ऐसे में आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य की चुनावी राह आसान नहीं होगी।

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