Jharkhand: चुनाव आयोग की चिट्ठी पर राज्यपाल बोले- जल्द साफ होगी तस्वीर

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रांची : झारखंड में पिछले आठ दिनों से कायम राजनीतिक अनिश्चितता पर स्टैंड क्लीयर करने की मांग को लेकर जेएमएम-कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार शाम साढ़े चार बजे राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के मुताबिक, राज्यपाल ने उनसे कहा कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता के मसले पर निर्वाचन आयोग का पत्र राजभवन को मिला है। इस पत्र के कंटेंट पर वह विधि विशेषज्ञों से परामर्श ले रहे हैं और जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। ऐसी खबरें राजभवन के सूत्रों के हवाले से चल रही हैं। इससे राज्य में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गयी है और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को प्रोत्साहन मिल रहा है। इसलिए वह राजभवन से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह कर रहे हैं।

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ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अगर विधानसभा की सदस्यता के लिए मुख्यमंत्री की अयोग्यता सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है। राज्यपाल से मुलाकात के बाद सांसद महुआ माजी ने बताया कि राज्यपाल ने जल्द ही इस मुद्दे पर सब कुछ स्पष्ट कर दिये जाने का आश्वासन दिया है। राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा, धीरज साहु, झामुमो सांसद विजय हांसदा, महुआ माजी, झारखंड के पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद पांडेय के साथ कुल 10 लोग शामिल थे।

क्या है मामला –

हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी। भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी। राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था। आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार को राजभवन को मंतव्य भेजकर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। चुनाव आयोग का यह मंतव्य राजभवन के पास है और आधिकारिक तौर पर इस बारे में राजभवन ने सात दिनों के बाद भी कुछ नहीं कहा है।

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