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सातवीं सदी से चला आ रहा खून खराबे का दौर

लखनऊः दुनिया भर के इस्लामिक देशों में शियाओं और सुन्नियों के बीच नफरत खत्म नहीं हो रही है। हाल के वर्षों में शिया और सुन्नियों के बीच खूनी संघर्ष बढ़े हैं। इसे सीरिया, इराक और यमन में साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस सांप्रदायिक टकराव से करीब 14 देश आपस में जूझ रहे हैं। इन दोनों में सातवीं सदी से ही मतभेद रहे हैं। इनमें अक्सर खून-खराबे के हालात पैदा हो जाते हैं। इस समय पाकिस्तान में ये दोनों आमने-सामने हैं। एक पक्ष दूसरे को काफिर तो दूसरा पक्ष मुसलमान न होने का आरोप लगाकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है। पाकिस्तान में शिया समुदाय के खिलाफ ईशनिंदा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके चलते विश्व के करीब 14 देश टकराव के चलते जूझ रहे हैं। हाल ही में एक विदेशी महिला के बलात्कार के बाद से पाकिस्तान में दोनों समुदायों में संघर्ष के हालात पैदा हुए हैं। अगर यही हाल रहा तो यह टकराव विश्वस्तर पर होगा।

कब से शुरू हुई नफरत

सातवीं सदी में इस्लामिक पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद शिया और सुन्नियों में फूट पड़ गई। पैगंबर मोहम्मद को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है। उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर मतभेद शुरू हुआ था। सुन्नियों का मानना था कि मुस्लिम नेताओं को उत्तराधिकारी उन्हें बनाना चाहिए जो योग्य हैं, जबकि शियाओं का मानना था कि मोहम्मद साहब के खून से संबंध रखने वाले को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। हालांकि अली अंततः चैथे खलीफा बनाए गए, लेकिन उनकी हत्या कर दी गई और इनके बेटे को भी मार दिया गया।

ईरान में सबसे ज्यादा शिया की आबादी

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर की मुस्लिम आबादी में शियाओं की तादाद 10 से 13 प्रतिशत तक है जबकि 87 से 90 प्रतिशत सुन्नी हैं। ईरान की आबादी 77 मिलियन है और शियाओं की आबादी 96 पर्सेंट है। इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया की एक तिहाई शिया आबादी ईरान में रहती है। पाकिस्तान में शिया समुदाय की आबादी 20 फीसदी है। 20वीं सदी के मध्य से शिया समुदाय के लोगों को सुन्नी चरमपंथी समूहों अहले-सुन्नत वल जमात, लश्कर-ए-जंघवी, सिपह-ए-सहावा पाकिस्तान के हमलों का निशाना बनना पड़ रहा है।

भारत में सबसे ज्यादा शिया यूपी में

देश में सबसे ज्यादा शिया मुसलमान यूपी की राजधानी लखनऊ में रहते हैं। यही वजह है कि दुनिया के किसी भी कोने में जब भी शिया-सुन्नी विवाद होता है, तो उसकी तपिश लखनऊ में महसूस की जाती है। करीब छह साल पहले इराक में हुए संघर्ष के बाद यहां भी दोनों वर्गों में पथराव और फायरिंग हुई थी।

एकता के लिए मांगते हैं मन्नत

इसी साल अप्रैल में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने हैदराबाद में ऐतिहासिक मक्का मस्जिद का दौरा कर शिया-सुन्नी एकता व दुनिया भर के मुस्लिमों की शांति के लिए नमाज अदा की थी। भारत के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन रूहानी ने 17वीं सदी के मस्जिद में आम लोगों के साथ जुमे की नमाज अदा की थी।

कॉलेज में भी विवाद की छाया

यूजीसी की एक समिति ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के क्लास रूम में अलग-अलग बैठने पर आपत्ति जताई थी। समिति ने केन्द्र की मोदी सरकार से सिफारिश की थी कि एएमयू में तत्काल प्रभाव से को-एड व्यवस्था से पढ़ाई शुरू कराई जाए। यूजीसी की समिति ने शिया और सुन्नी के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट पर भी आपत्ति दर्ज कराई थी। समिति में शामिल विशेषज्ञों का मानना था कि जब शिया और सुन्नी दोनों एक ही धर्म पर आधारित पढ़ाई करते हैं तो फिर दो अलग-अलग डिपार्टमेंट क्यों ?

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वर्चस्व को लेकर भी छिड़ती है जंग

पूरी दुनिया की मुस्लिम आबादी में 85 फीसदी सुन्नी हैं। सऊदी अरब, मिस्त्र, यमन, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, तुर्की, अल्जीरिया, मोरक्को और ट्यूनीशिया में सुन्नी बहुसंख्यक आबादी है। दूसरी तरफ, ईरान और इराक शिया बहुल देश हैं। यमन, बहरीन, सीरिया, लेबनान और अजरबैजान में शिया सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के तौर पर हैं।