विशेष उत्तर प्रदेश

ठगी का नया अड्डा बना यूपी सचिवालय

लखनऊः अभी तक रेलवे और सेना के साथ तमाम सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वालों के खुलासे हो रहे थे, लेकिन अब राजधानी के सचिवालय में सामने आए ठगी के मामलों ने सबको चैंका दिया हैं। राजधानी पुलिस ने ऐसे ठगों को पकड़ा है, जो सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर भोले-भाले लोगों को ठगने का काम करते थे। हैरत की बात तो यह है कि जालसाज सचिवालय में मनमाने तरीके से भर्तियां भी निकाल देते थे।

प्रदेश में कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां ठगों की मौजूदगी न हो। शिक्षा विभाग, सेना, रेलवे के बाद इस बार सचिवालय में नौकरी दिलाने वाले गिरोह का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया गया है। ये इतने शातिर थे कि बेरोजगार युवकों को सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर फंसा लेते थे। इस काम के लिए उनसे मोटी रकम हड़प लेते थे। दोनों आरोपितों के पास से फर्जी नियुक्ति पत्र समेत बड़ी मात्रा में जाली दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

एसटीएफ के मुताबिक, कुछ समय से विभिन्न विभागों में नौकरी के नाम पर ठगी की शिकायतें मिल रही थीं। छानबीन के दौरान अरविंदो पार्क इंदिरा नगर के पास से दुर्गागंज बिलग्राम हरदोई निवासी देवेश कुमार मिश्र और मुल्लापुर पसगवां खीरी निवासी विनीत कुमार मिश्र को दबोचा गया। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह बेरोजगारों की तलाश कर उन्हें सचिवालय और अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने की बात कहते थे। इसके बाद उनसे रुपये हड़प लेते थे।

आरोपितों ने सचिवालय का फर्जी लोगो लगाकर क्लर्क, चपरासी व अन्य पदों का फर्जी नियुक्ति पत्र बनाकर युवकों को दिया था। इन नियुक्ति पत्रों पर मुख्य सचिव के फर्जी हस्ताक्षर तक किए जाते थे। झांसे में लेने के लिए आरोपित लोगों को सचिवालय के बाहर बुलाते थे, जिससे उन पर कोई शक नहीं करता था। क्लर्क के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से चार से पांच लाख रुपये लिए जाते थे। वहीं चपरासी के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर दो से तीन लाख रुपये वसूले जाते थे। रुपये लेने के बाद आरोपित आपस में अपना हिस्सा बांट लेते थे। इंदिरा नगर थाने में दोनों आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

सरकारी नौकरी के नाम पर बेरोजगारों को ठगने के तीन मामले बीते शनिवार 10 अक्टूबर को सामने आए। दो मामलों में पुलिस ने पांच आरोपितों को गिरफ्तार भी किया है। हालांकि जिन विभागों में नौकरी का झांसा देकर खेल हुआ, वहां अब तक कोई पूछताछ नहीं हुई है। पुलिस ने यह जानने की जरूरत तक नहीं समझी कि जालसाजों का विभाग में कहां तक जाल फैला है।

छह महीने पहले भी कर चुके हैं वारदात

छह महीने पहले हजरतगंज पुलिस ने नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े के आरोप में अभिषेक निगम के साथ ही कई लोगों को गिरफ्तार किया था। छानबीन में पुष्टि भी हुई कि पिछली सरकार के मंत्रियों से लेकर आला अधिकारियों तक पहुंच रखने वाले अभिषेक ने पहुंच दिखाकर दर्जनों लोगों से रुपये ऐंठे थे। लग्जरी गाड़ियों से चलने वाला अभिषेक पूरे दिन एनेक्सी और सचिवालय में आता-जाता रहता था।

रहन-सहन और पहुंच देकर ही बेरोजगार अर्दब में आते और सचिवालय में बैकडोर से नौकरी की उम्मीद में रुपये दे देते थे। छानबीन में यह भी पता चला कि उसने सचिवालय सहित अन्य विभागों में कई लोगों की नौकरी लगवाई भी है। एक पीड़ित ने एनेक्सी के अफसर के कमरे में बैठकर डीलिंग करते हुए अभिषेक की विडियो रिकॉर्डिंग पुलिस को उपलब्ध भी करवाई थी।

2016 में भी खुला था मामला

16 जनवरी 2015 को भी एक बड़ा मामला खुला था। इसमंे सचिवालय में चपरासी से लेकर समीक्षा अधिकारी तक की नियुक्ति करवाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी के आरोप में पारितोष त्रिपाठी को हजरगंज से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से दर्जनों फर्जी नियुक्ति पत्र और अफसरों के मोबाइल नम्बर पाए गए थे। 18 मई 2016 को मुंबई के भोजपुरी गायक सत्यसेन सिंह से सचिवालय में नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी करने वाले भोला यादव को इंदिरानगर पुलिस ने पकड़ा था। छानबीन में पता चला कि आरोपित सचिवालय में एक अधिकारी की गाड़ी चलाता था।

1 अगस्त 2016 को इटावा निवासी रवीश कुमार यादव को सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का फर्जी नियुक्ति पत्र थमा कर सात लाख रुपये ठग लिए गए थे। इटावा के बसरेहर थाने में कायम सिंह और उसके बेटे गौरव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर हजरतगंज पुलिस से जांच में मदद मांगी गई, लेकिन अब तक आरोपित पकड़ से बाहर हैं। 15 जुलाई 2017 को वाराणसी पुलिस ने सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके गैंग का खुलासा किया था।

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ठगी के आरोप में गोरखपुर के चैरी चैरा निवासी इंद्रसेन और वाराणसी के चोलापुर निवासी संजय यादव को गिरफ्तार किया गया था। 2 जून 2017 को मड़ियाव के तीन युवकों से सचिवालय में नौकरी के नाम पर नीरज गुप्ता नाम के जालसाज ने एक-एक लाख रुपये ठग लिए थे। रिपोर्ट दर्ज हुई लेकिन आरोपित अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।