मीरजापुरः भगवान शिव के प्रिय माह सावन में शिव मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए हर जगह भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। हर मंदिर की अलग-अलग मान्यताएं भी हैं। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में एक शिव मंदिर है जिसका संबंध ताडकासुर नामक असुर से है, इसलिए इस मंदिर को तारकेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। तारकेश्वर नाथ मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। गंगा किनारे बना भगवान शिव का यह मंदिर शहर के मध्य में रैदानी कॉलोनी के पास है। माना जाता है कि मौजूदा महादेव मंदिर मूल तारकेश्वर मंदिर के गंगा में विलीन होने के बाद उसी स्थान पर स्थापित किया गया था। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है।
बताया जाता है कि मां विंध्यवासिनी का त्रिकोण यहीं से शुरू होता है और यहीं समाप्त होता है। तारकेश्वर नाथ गंगा अवतरण के पूर्व से ही यहां विराजमान हैं। महादेव का यह स्थान विंध्य पर्वत के उत्तर पूर्व में स्थित है। तारकेश्वर नाथ मंदिर का वर्णन विंध्य महात्म्य में भी किया गया है। कहा जाता है कि ताड़कासुर ने महादेव की तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था। वरदान पाकर ताड़कासुर अत्याचारी हो गया था। ऋषि-मुनियों के अनुरोध पर ही महादेव के आदेश पर उनके पुत्र कार्तिकेय ने इसी स्थान पर ताड़कासुर का वध किया था, इसलिए इस मंदिर का नाम तारकेश्वर नाथ पड़ा।
तारकेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास
विंध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्वर महादेव का वर्णन पुराणों में भी किया गया है। मंदिर के पास एक तालाब है। ऐसा माना जाता है कि तारक नामक राक्षस ने मंदिर के पास एक तालाब खोदा था। भगवान शिव के पुत्र ने ही तारक का वध किया था इसलिए उन्हें तारकेश्वर महादेव कहा जाता है। कुंड के पास कई शिवलिंग हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने तारकेश्वर के पश्चिम की ओर एक तालाब खोदा और भगवान शिव का मंदिर बनवाया। यह भी कहा जाता है कि तारकेश्वर महादेव मंदिर देवी लक्ष्मी का निवास स्थान है। यहां देवी लक्ष्मी वैष्णवी रूप में देवी सरस्वती के साथ दूसरे रूप में निवास करती हैं।
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यहां कुल 108 शिव मंदिर थे, जिनमें से अधिकांश गंगा में विलीन हो चुके हैं
मीरजापुर शहर के मध्य में गंगा के तट पर तारकेश्वर नाथ का मंदिर है, जहाँ कुल 108 शिव मंदिर थे। इनमें से कई गंगा की धारा में समाहित हो चुके हैं। भगवान श्री राम ने विंध्याचल के शिवपुर में रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना करने के बाद यहां दर्शन किये थे। यहां भी शिवपुर मेले की तरह एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें शिल्प वस्तुएं विशेषकर मिट्टी के बर्तन बिक्री के लिए आते हैं।
चार पीढ़ियों से एक ही परिवार मंदिर की देखभाल कर रहा है
तारकेश्वर महादेव मंदिर की देखभाल चार पीढ़ियों से एक गोसाई परिवार करता आ रहा है। मंदिर के पुजारी शिवमंगल गिरि ने बताया कि जो भी सच्चे मन से मंदिर में आता है उसकी आस्था अवश्य पूरी होती है। पुजारी ने बताया कि यहां एक तालाब है, जिसे माता लक्ष्मीजी ने खुदवाया था।
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