सूर्य षष्ठी पर लोलार्क कुंड में स्नान करने से होती है संतान की प्राप्ति

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नई दिल्लीः भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (सूर्य षष्ठी) को लोलार्क छठ के रुप में मनाया जाता है। इस दिन वाराणसी में स्थित लोलार्क कुण्ड या सूर्य कुण्ड में स्नान की परंपरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही संतान की भी प्राप्ति होती है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होने के चलते इस वर्ष की लोलार्क या सूर्य षष्ठी का विशेष महत्व है। इस अवसर पर श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में संतान सुख और प्राप्ति की चाह में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

काशी के लक्खा मेलों में शुमार लोलार्क पष्ठी स्नान की मान्यता है कि संतान प्राप्ति की कामना लेकर आने वाले दंपतियों की मनोकामना लोलार्केश्वर महादेव पूरी कर देते हैं। इसलिए हर साल कुंड में स्नान करने के लिए देश के अलग-अलग क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की यहां भारी भीड़ जुटती है। लोलार्क कुंड को सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी वाले दिन कुंड से लगे कूप से पानी आता है। सूर्य की रोशनी के पानी में पड़ने से संतान उत्पत्ति का योग बनता है।

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मान्यता है कि इस दौरान महिलाओं के स्नान करने से उन्हें संतान प्राप्त होती हैं। संन्यासी लोग भी यहां मोक्ष के लिए स्नान करते हैं। स्नान करने के बाद दंपती कुंड पर अपने गीले कपड़े वहीं छोड़ देते हैं। कुंड में एक ऐसा फल भी छोड़ा जाता है जो संतान का प्रतीक माना जाता है। उक्त फल का सेवन दम्पती जीवन पर्यंत नहीं करते। मनौती पूर्ति होने पर लोग गाजे-बाजे के साथ अपने बच्चे को लेकर आते है और कुंड में स्नान के बाद लोलार्केश्वर महादेव की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता जताते हैं।

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