सुलतानपुरः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को वाराणसी में अपने विवादित बयान के चलते भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वाराणसी से मिर्जापुर की ओर जा रहे स्वामी प्रसाद के काफिले को युवाओं की एक टोली ने काले झंडे दिखाए। उनकी गाड़ी पर स्याही भी फेंकी गई। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया। स्वामी प्रसाद को काले झंडे दिखाने वाले युवक हर-हर महादेव और जय श्रीराम का नारा भी लगा रहे थे। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर कहा कि रामचरितमानस को लेकर मैंने जो बयान दिया है, मैं आज भी उस पर कायम हूं।
रविवार को वाराणसी से लखनऊ वापस लौटते समय सुलतानपुर में स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि हमने रामचरितमानस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उसके चौपाइयों के वो अंश, जिससे देश की सभी महिलाएं खास बात यह कि दलित और पिछड़ों को अपमानित होना पड़ता है। उस पर मैं अडिग भी हूं। अब देखना यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों सम्मान दिलाने के पक्षधर हैं या अपमान करने वालों के साथ खड़ी है।
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स्वामी प्रसाद ने आगे कहा कि कहीं नीच और कहीं अधर्म कहकर के उनको समाज में नीचा दिखाया जाता है। ऐसे ही शब्दों को संशोधित करने की मैंने मांग की है। जब तक देश की महिलाओं, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को सम्मान नहीं मिलेगा, यह आवाज उठती रहेगी और यह अभियान चलता रहेगा। स्वाभाविक रूप से मैंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तुलसीदास के चौपाइयों के वह अंश जहां-जहां महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं, उन सबको इंगित करते हुए पत्र भेजा है।
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