स्वामी परमात्मानंद ने कहा- विश्व तक पहुंचेगा भारत का दर्शन

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भोपाल: मध्य प्रदेश में आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान प्रारंभ करने और आदि शंकराचार्य की विशाल एवं भव्य प्रतिमा स्थापित करने की संकल्पना प्रेरक है। भारत का दर्शन विश्व में स्थापित होगा। आज सर्वसमावेशी भाव स्थापित करने की आवश्यकता है। आचार्य सभा की ओर से ओंकारेश्वर के प्रकल्प के लिए मुख्यमंत्री चौहान बधाई के पात्र हैं।यह बात आर्ष विद्यामंदिर राजकोट के संस्थापक स्वामी परमात्मानंद ने एकात्म पर्व में सारस्वत उद्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण सृष्टि ईश्वर की है। हमें भेद दृष्टि का त्याग करना है। जगत गुरू शंकराचार्य ने नैतिक मूल्यों की आवश्यकता के दौर में अवतरित होकर समाज को दिशा प्रदान की।

आदि शंकराचार्य जी की जयंती को दार्शनिक दिवस के रूप में मनाते हुए भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभा गृह में शुक्रवार को संस्कृति विभाग के आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा एकात्म पर्व अनेक संतों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। आचार्य शंकर प्रकटोत्सव में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विशेष अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान थे।

कार्यक्रम में स्वामी परमात्मानंद ने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य ने स्वराज्य की प्राप्ति की। आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता अखंड भारत के लिए आवश्यक है। हमारे सांस्कृतिक मूल्य एक से हैं। आज एकात्म दर्शन को स्थापित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने इसके लिए मध्य प्रदेश में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास स्थापित किया है।

स्वामीजी ने कहा कि आज अनेक मान्यताएँ और सम्प्रदाय व्यक्ति केंद्रित हो रहे हैं, जो दर्शन या सिद्धांत केंद्रित होने चाहिए। जगतगुरु शंकराचार्य की यात्रा को हम इस दृष्टि से भी देखें कि यह किसी को पराजित करने का भाव नहीं है। शंकराचार्य जी का विजय और पराजय में विश्वास नहीं था। उनकी यात्रा करूणा से प्रेरित थी। उन्होंने लगभग सभी तीर्थों का दर्शन किया और स्रोत रचना की। नदियों की यात्रा भी की। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मिलेनियम मीट में भारतीय धर्माचार्यों को बुलाया गया। शंकराचार्य जी का दर्शन व्यापक है। सभी जीवों में एक ही चेतना है। पर्यावरण-संरक्षण का संदेश भी उनके दर्शन में है। उनके वैदिक दर्शन को मध्य प्रदेश में आज दार्शनिक दिवस के रूप में मनाने की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान संतों के प्रिय हैं। ओंकारेश्वर प्रकल्प भविष्य में एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभरेगा। नालंदा जैसे ज्ञान केंद्र की तरह अलग पहचान बनाएगा।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एकात्म पर्व को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में आचार्य शंकर प्रकटोत्सव में आकर उन्हें अति प्रसन्नता हुई है। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा और संस्थान की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री चौहान बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान विज्ञान का ऐसा केंद्र है जहाँ सदियों तक अन्य राष्ट्रों के विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते रहे। अनेक धर्मों और दर्शनों की शिक्षा भारत में मिलती थी। भारत की ज्ञान परम्परा ही भारत के विश्व गुरू होने का आधार है। जहाँ अन्य देश साहस, सुंदरता और अन्य गुणों से जाने जाते हैं। भारत ज्ञान विज्ञान की परम्परा के लिए जाना जाता है।

राज्यपाल खान ने कहा कि आदि शंकराचार्य जिस राज्य केरल से यात्रा पर चले थे, उस राज्य का राज्यपाल होने का उन्हें सौभाग्य मिला है। आदि शंकराचार्य महान दार्शनिक थे। उन्होंने एकता के सूत्र में सभी को बांधने का कार्य किया। वे गुरू की तलाश में हजारों किलोमीटर चलकर मध्य प्रदेश भी आए। शंकराचार्य जी के अद्वैतवाद को किसी प्रदेश या देश में सीमित नहीं किया जा सकता। मध्य प्रदेश के प्रकल्प को विश्व में पहचान मिलेगी।

उन्होंने कहा, शंकराचार्य जी का मनाना था कि सभी मानवता का पाठ पढ़ें। प्रत्येक व्यक्ति साधारण न होकर दिव्य है। दिव्यता का प्रकटिकरण हर क्षेत्र में होना चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी ने भी बाद में यही दर्शन दिया। शंकराचार्य जी का मानना था कि एकता हमारी आवश्यकता है। जब से मानवता ने सभ्यता के मार्ग पर चलना प्रारंभ किया है, तब से एकता जरूरी है। दुनिया में कोई अकेला नहीं रह सकता।

राज्यपाल खान ने विभिन्न वेदों की पंक्तियों और श्लोकों के उद्धहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि नैसर्गिक या प्रकृति के कानून में विविधिता को स्वीकार किया गया है। भारत में हजारों वर्ष से इसे स्वीकार किया गया जो दुनिया के कई देशों में सौ डेढ़ सौ साल से स्वीकार किया जा रहा है। हम सनातन सिद्धांतों पर गर्व करते हैं। हम अपने ऋषियों की बात दुनिया को बता नहीं सके। शंकराचार्य जी ने देश के विभिन्न स्थानों पर मठ स्थापित किए। उन्होंने वेदों से एक-एक महा वाक्य इन मठों को प्रदान किया। उन्होंने कहा कि हर मनुष्य मोक्ष का अधिकारी है, क्योंकि उसमें आत्मा समाहित है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज आदि शंकराचार्य जी की जयंती पर स्वामी परमात्मानंद जी और अन्य अतिथियों का आगमन महत्वपूर्ण है। शंकराचार्य जी के दर्शन के अनुरूप समस्त भेदभाव तिरोहित हो जाएँ, इसलिए ओंकारेश्वर प्रकल्प का महत्व है। वर्ष 2017 से हुई प्रकल्प की शुरूआत के बाद अब तेजी से कार्य हो रहे हैं। वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार ने प्रकल्प के कार्यों को जारी रखने के अनुरोध को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन अब यह प्रकल्प शीघ्र साकार होगा।

उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य जी की भव्य प्रतिमा की स्थापना के लिए धातु संग्रहण का कार्य जन-भागीदारी से हुआ था। एकात्म यात्रा में कलश भर-भर के सभी सहयोग दे रहे थे। ऐसे महत्वपूर्ण प्रकल्प सिर्फ सरकारों के माध्यम से नहीं बल्कि जन-जन के सहयोग से पूर्ण होते हैं।

उन्होंने कहा कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के प्रयासों को हम सभी मिलकर सफल बनाएंगे। उन्होंने आदि शंकराचार्य द्वारा बाल्य काल से यात्रा प्रारंभ कर, सौ से अधिक ग्रंथ लिखकर अंधकार में खोए तत्कालीन समाज को दिशा दिखाने का कार्य किया। उन्होंने मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। मध्य प्रदेश में इस पवित्र प्रकल्प की पूर्णता के लिए संत समाज का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है। भौतिकता की अग्नि से निकालकर मानवता का दिग्दर्शन कराने में अद्वैत वेदांत ही एक मात्र उपाय है। यह दर्शन सारे विश्व में फैलेगा। आज इस कार्यक्रम में स्वामीजी परमात्मानंद सरस्वती राजकोट और स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, स्वामी वेदतत्वानन्द जी जो न्यास के आवासीय आचार्य भी हैं, उपस्थित हुए हैं। इसके साथ ही केरल के विद्वान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान दर्शन के विद्वान अम्बिका दत्त शर्मा की गरिमामय उपस्थिति से प्रकटोत्सव सार्थक हुआ है।

मुख्यमंत्री ने प्रतिदिन पौधा लगाने के कार्य का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्वयं को जीवन देने का कार्य है। संतों के आशीर्वाद से पर्यावरण को बचाने का कार्य भी हम निष्ठा से करेंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सभी अतिथियों का शाल, श्रीफल और शंकराचार्य जी की तस्वीर प्रदान कर अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने आज कर्नाटक शैली में शंकर संगीत प्रस्तुत करने वाली शास्त्रीय गायिका सूर्यागायत्री और गायक एवं संगीतज्ञ राहुल वेल्लाल का भी सम्मान किया।

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कार्यक्रम के समापन पर मुख्यमंत्री ने सभी उपस्थित लोगों को आदि गुरू शंकराचार्य की पवित्र स्मृति को साक्षी मानकर मंगलमय विश्व के निर्माण, श्रेष्ठ नागरिक के रूप में आदर्श समाज, उन्नत राष्ट्र बनाने, जीव जगत और ईश्वर के मलभूत एकात्म भाव को मन, वचन और कर्म से आत्मसात करने का संकल्प दिलवाया।

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