लखनऊः नालों की स्थित संतोषजनक न होने पर हर साल नगर निगम की फजीहत होती है। बीते साल तो बारिश के दौरान नगर आयुक्त को दो बार नालों की सफाई करानी पड़ी थी। जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की बात कही जाती है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावे भर की होती है। शहर की बड़ी आबादी जलभराव का दंश झेलने को मजबूर रहती है।
इस बार भी नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह शहर में बारिश से पहले वृहद स्तर पर अभियान चलाकर सभी बड़े, मझले व छोटे नालों की सफाई का आदेश दे चुके हैं लेकिन सच्चाई यह है कि नगर निगम के पास कोई लक्ष्य है ही नहीं। नगर आयुक्त आदेश देकर आगे के प्लान पर चल पड़ते हैं और पीछे काम करने वाले कोई न कोई समस्या बताकर बैठ जाते हैं। जिन नालों से सिल्ट निकाला जा रहा है, उनका मलबा या सिल्ट उठाने के लिए वाहन दुरूस्त नहीं हैं जबकि नगर निगम के पास सैकड़ों वाहन हैं। इसके बावजूद कर्मचारी वाहनों में खराबी का हवाला दे रहे हैं। परिणाम यह है कि कई दिनों तक मलबा नाली या नाले के किनारे पड़ा रहता है और फिर किसी न किसी रूप में वह फिर नाले में ही चला जाता है। अब नगर आयुक्त अकेले किन क्षेत्रों का दौरा करें, जहां जाते हैं, वहीं खामियां मिल रही हैं।
नगर आयुक्त अपने दौरे का विस्तार कर जोन-5 के तीन वार्डों का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां बाबू कुंज बिहारी वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि बबलू मिश्रा, गुरु गोविंद सिंह वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि श्रवण नायक, एवं गीता पल्ली वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि आदर्श मिश्रा भी पहुंच गए। इन्होंने जल निगम द्वारा चलाए जा रहे सीवर के कार्य को लेकर नाराजगी जाहिर की। बताया कि जिस स्थान पर काम चल रहा है, वह खुले में है। यहां धूल उड़ती रहती है और वाहन भी टकराते रहते हैं। क्षेत्र में नालों की तली की सफाई व मलबे का उठान न होने से स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। अब जोन-5 के प्रभारी को याद आ रहा है कि काम पूरा करने में नालियों के ऊपर बने रैंप अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। हालांकि, नगर आयुक्त ने उन्हें इस मामले में भी छूट दी है और कहा कि नोटिस जारी कर रैंप हटवाएं। यह परेशानी सिर्फ एक स्थान की नहीं है। शहर के हर छोर पर मकानों के बाहर रैंप बने है। लोगों ने इनको पूरी तरह से ढक दिया है। यहीं कूड़ा फंसता है और जलभराव शुरू हो जाता है।
यह भी पढ़ें-T20 में रोहित शर्मा सुपरहिट, हासिल किए दो बड़े मुकाम, ऐसा करने वाले बने भारत के दूसरे खिलाड़ी
बाबू कुंज बिहारी वार्ड के पवन पूरी क्षेत्र की गली संख्या 8ए में दूषित जलापूर्ति की सूचना पर नगर आयुक्त आखिर पहुंचना ही पड़ा। यहां के अधिकारी गोलमाल जवाब दे रहे थे। बदनामी निगम की हो, इससे पहले ही आयुक्त को अपने ही कुनबे से धोकाधड़ी की बू आई। जैसा उनको शक था, वैसी ही वहां की स्थिति थी। अब संबंधित अधिकारियों को उक्त क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों की इस समस्या का निदान करने के लिए कहा गया है। क्षेत्र में जल निगम द्वारा चलाए जा रहे सड़क निर्माण का काम बदले तरीके से होगा। बीते साल जब नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कार्यभार संभालने के बाद शहर का पहला दौरा किया तो इंडिया पब्लिक खबर ने सबसे पहले निगम के अफसरों की सक्रियता पर सवाल उठाए थे। इसी दिन आयुक्त ने पुनः शहर की नालियां की दोबारा सफाई का आदेश भी दिया था। यह ऐसी समस्या है, जो इस साल बढ़ने वाली है। इसका कारण है कि 88 गांवों में निगम के चुनाव हो चुके हैं। यहां जोन प्रभारियों के बहाने भी नहीं चलने वाले हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के करीब ही वीआईपी रोड पर नहर के नीचे से जोन-8 की ओर जाने वाले भूमिगत नाले की तली झाड़ सफाई एवं बारिश के मौसम में जलभराव हर साल होता है। अभी यहां की कार्यप्रगति भी संतोषजनक नहीं है। एक पम्प लगाकर पानी को निकालने के प्रयास किए जाने हैं, लेकिन जोन-5 में शिल्ट उठाने के लिए गाड़ियों का रोना है। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक ही गाड़ी से पूरा काम किया जा रहा है। अब देखना यह है कि अवर अभियंता डीके मिश्रा, सहायक अभियंता उमेश पाल एवं असलम को सख्त हिदायत मिलने के बाद वह जलभराव से निजात दिलाने के लिए प्रयासों में सफल होते हैं या नहीं ?
पंपिंग स्टेशन के जिम्मेदारों पर भी होगी कार्रवाई
जलभराव के लिए केवल नालियों की सफाई करने वाले घेरे जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार वह भी लोग होते हैं जो शहर के पंपिंग स्टेशनों पर भी काम करते हैं। जब कभी जलभराव तेज होता है, तब मशीनों की चाबियां तलाशने में तेजी दिखाई जाती है। माना जा रहा है कि इस बार जलभराव हुआ तो पंपिंग स्टेशनों पर तैनात कर्मियों और संबंधित अफसरों को भी कार्रवाई के जद में लाया जाएगा। अल्टीमेटम देते हुए नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कह दिया है कि किसी भी प्रकार की तकनीकी दिक्कतों को अभी से दूर करा लिया जाए, वरना कड़ी कार्रवाई होगी। बीते साल पटेल नगर में जलभराव के दौरान ऐसी दिक्कत सामने आई थी। जोन-7 में जलभराव नई बात नहीं है।
यह क्षेत्र मुख्यालय से काफी दूर है। नगर आयुक्त यहां कम ही पहुंच पाते हैं। इसका फायदा जोन प्रभारी और अभियंता बराबर उठाते रहते हैं। लोग शिकायत करें या अर्जी लगाएं, इन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस बार इनकी घेराबंदी अभी से शुरू हो गई है। शिकायतकर्ताओं से जानकारी पाने के बाद आयुक्त जोन कार्यालय भी अचानक ही पहुंचे थे। वहां जिम्मेदार अधिकारियों से लोगों की परेशानी दूर न करने के कारण पूछे तो उन्होंने अपनी परेशानियां बतानी शुरू कर दीं। यह वही लोग हैं, जिनको अपने आफिस की पत्रावलियों का रखरखाव भी बेहतर ढंग से नहीं आता। आरामतलबी में माहिर यहां के अधिकारियों की लत कर्मियों को सालों से लगी हुई है। यही कारण है कि कार्यालय में क्षतिग्रस्त दीवारों की मरम्मत कराने की जरूरत तभी पड़ी, जब नगर आयुक्त ने इनको खूब फटकार लगाई।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)