Home राजनीति सुरजेवाला ने की एचसीएस प्रारंभिक परीक्षा दोबारा कराने की मांग

सुरजेवाला ने की एचसीएस प्रारंभिक परीक्षा दोबारा कराने की मांग

 

Randeep Surjewala

चंडीगढ़ः राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट पेपर का रिजल्ट बार-बार बदलने पर एक बार फिर राज्य सरकार को घेरा है। शुक्रवार को चंडीगढ़ में एक बयान जारी करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मौजूदा हरियाणा लोक सेवा आयोग प्रदेश के इतिहास का सबसे अक्षम आयोग बन गया है। आयोग को तत्काल भंग कर नये सिरे से इसका पुनर्गठन करना जरूरी है। अब एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा नए सिरे से आयोजित करना और मई में आयोजित परीक्षा रद्द करना जरूरी हो गया है।

लाखों युवा भुगत रहे धांधली का खामियाजा

सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार सत्ता में आने के बाद साढ़े आठ साल में एचपीएससी, एचसीएस समेत एक भी भर्ती स्वच्छ और पारदर्शी तरीके से नहीं हो पाई। हर परीक्षा में कोई न कोई खामी या धांधली सामने आई, जिसका खामियाजा प्रदेश के लाखों पढ़े-लिखे युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। एचपीएससी की गलत कार्यप्रणाली के कारण प्रदेश की जनता अब इस आयोग को हराफारी सेवा आयोग कहने लगी है।

दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग

सुरजेवाला ने कहा कि एचपीएससी के कारनामे ऐसे हैं कि प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती का परीक्षा परिणाम दो महीने के भीतर दूसरी बार बदल दिया गया है। यह इस सेवा आयोग की कार्यप्रणाली और अक्षमता को साबित करने के लिए भी काफी है। रणदीप ने कहा कि अगर सरकार को इस राज्य के युवाओं के भविष्य की थोड़ी भी चिंता है तो इस अप्रभावी लोक सेवा आयोग को तुरंत बर्खास्त कर नये सक्षम एवं विश्वसनीय आयोग का गठन करना चाहिए। अपनी विश्वसनीयता खो चुकी एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दोबारा परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।

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रणदीप ने कहा कि पिछले एचसीएस और डेंटल सर्जन की भर्ती में कैश फॉर घोटाला पकड़ा गया था। खट्टर साहब की सतर्कता ने अकेले अनिल नागर पर सारा घोटाला डालकर एचपीएससी के सदस्यों, सरकार से जुड़े लोगों, अधिकारियों और पेपर आयोजित करने वाली कंपनी के लोगों सहित सभी घोटालेबाजों को बचा लिया। इस बार उन्होंने खुद ही ओएमआर शीट भरने का झंझट खत्म कर दिया और पेपर में पिछली भर्ती के पेपर से हूबहू 38 प्रश्न दिए ताकि किसी को पेपर लीक न करना पड़े और किसी को ओएमआर शीट को गोपनीयता के साथ न भरना पड़े।

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