मनीष सिसोदिया को मिलेगी राहत? जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले मामले में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमत हो गया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ विशेष अनुमति याचिका को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुई। सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की।

3 जुलाई को HC ने जमानत देने किया था इनकार 

सिंघवी ने अदालत से कहा, “यह जमानत का मामला है। महिला (सिसोदिया की पत्नी) को दूसरी बार अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। यह एक वास्तविक आपात स्थिति है। अगर इसे 14 जुलाई को सूचीबद्ध किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता ने पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत का रुख किया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के सिलसिले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 3 जुलाई को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत की दोहरी शर्तों और जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने में सक्षम नहीं थे।

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26 फरवरी को CBI ने किया था गिरफ्तार 

प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि उसने दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार मंत्री मनीष सिसोदिया, उनकी पत्नी और कुछ अन्य आरोपी व्यक्तियों की 52.24 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने इसी घोटाले से संबंधित सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, यह देखते हुए कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर थे।

इस साल 26 फरवरी को सीबीआई द्वारा सिसोदिया को गिरफ्तार करने के बाद 9 मार्च को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था। अप्रैल में विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने यह कहते हुए आप नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया था कि सबूत प्रथम दृष्टया अपराध में उनकी संलिप्तता के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। मामले से परिचित सूत्रों ने कहा कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाला मामले में चल रही जांच से पता चला है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर विभिन्न माध्यमों से 622.67 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी) अर्जित की थी।

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