Thursday, January 30, 2025
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Kolkata rape murder case: सुप्रीम कोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट, दिए ये आदेश

Kolkata rape-murder case, नई दिल्ली: कोलकाता रेप और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ कोलकाता में हुई हत्या का मामला नहीं है, यह पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम एक नेशनल टास्क फोर्स बना रहे हैं। इसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि के डॉक्टर होंगे जो पूरे भारत में अपनाए जाने वाले तरीकों का सुझाव देंगे ताकि काम पर सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और युवा डॉक्टर अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहें। कोर्ट ने 14 सदस्यीय टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया।

टास्क फोर्स में शामिल होंगे ये लोग

सुप्रीम कोर्ट ने जिन लोगों को टास्क फोर्स का सदस्य नियुक्त किया है, उनमें वाइस एडमिरल सर्जन आरके सरीन, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ रेड्डी, एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ एम श्रीवास, निमहंस बेंगलुरु की डॉ प्रतिमा मूर्ति, एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ पुरी, सर गंगाराम अस्पताल के एमडी डॉ रावत, दिल्ली एम्स की हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो अनीता सक्सेना, मुंबई मेडिकल कॉलेज की डीन प्रो पल्लवी सप्रे और एम्स न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ पद्मा श्रीवास्तव शामिल हैं। इन नौ नामों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पांच पदेन सदस्यों की नियुक्ति की है। पांच पदेन सदस्यों में केंद्रीय कैबिनेट सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष शामिल होंगे।

डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह

कोर्ट ने कहा कि हम डॉक्टरों से काम पर लौटने का अनुरोध करते हैं और हम डॉक्टरों से अपील करते हैं कि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं। कोर्ट ने कहा कि कोलकाता मामले में हम इस बात से काफी चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम और मृतका की फोटो और वीडियो सभी मीडिया में प्रकाशित हो रही है। उसका शव दिखाया गया, जबकि कोर्ट का कहना है कि यौन पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किए जा सकते। सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक भयावह घटना है। हमने गरिमा का ख्याल रखा है। जब तक पुलिस पहुंची, तब तक फोटो और वीडियो ले लिए गए थे।

चीफ जस्टिस ने पूछे कई सवाल

तब चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रोटोकॉल सिर्फ कागजों पर नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। कोलकाता में पीड़िता का नाम और फोटो देशभर के सभी मीडिया में प्रकाशित किया गया। सिब्बल ने कहा कि जांच में पता चला है कि यह हत्या का मामला है। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एफआईआर में हत्या का जिक्र है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अपराध की सूचना सुबह दी गई। अस्पताल के प्रिंसिपल इसे आत्महत्या बताते रहे। पीड़िता के माता-पिता को शव देखने नहीं दिया गया। तब सिब्बल ने कहा कि यह ठीक नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? पीड़िता का शव शाम को अंतिम संस्कार के लिए उसके माता-पिता को दे दिया गया। अगले दिन डॉक्टरों ने विरोध किया और कुछ लोगों की भीड़ ने अस्पताल में घुसकर नुकसान पहुंचाया। आखिर कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? अस्पताल के अंदर अपराध हुआ है। पुलिस को अपराध स्थल की सुरक्षा करनी है। सिब्बल ने कहा कि आरोपी एक नागरिक स्वयंसेवक है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल के प्रिंसिपल के व्यवहार पर आपत्ति जताई और पूछा कि इस प्रिंसिपल को तुरंत दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे नियुक्त कर दिया गया। सीबीआई को इस पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे लोगों पर बल प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल प्रोफेशन में संस्थागत सुरक्षा का अभाव है। देर रात तक काम करने के बावजूद डॉक्टरों के लिए आराम की व्यवस्था नहीं है। 36 घंटे काम करने के बावजूद रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए आराम कक्ष तक नहीं है। साफ-सफाई के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। डॉक्टरों के घर पहुंचने के लिए परिवहन की व्यवस्था नहीं है। सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करते। हथियारों की पर्याप्त तलाशी की व्यवस्था नहीं है।

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गौरतलब है कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में पीजी ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। 10 अगस्त को इस मामले में एक सिविल वॉलंटियर को गिरफ़्तार किया गया था। इस घटना के बाद पूरा देश भड़क गया था। देशभर में डॉक्टरों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। 13 अगस्त को कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। हाल ही में हाईकोर्ट ने 14 अगस्त को विरोध प्रदर्शन के दौरान आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ करने पर पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है।

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