नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शराब व्यापारी विजय माल्या के अवमानना मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
दस फरवरी को कोर्ट ने विजय माल्या को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया था। 24 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सजा पर फैसले के लिए और इंतजार नहीं होगा। दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है। कोर्ट ने कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को एमिकस नियुक्त किया था। सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर करने और संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी।
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माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है। माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी की ओर से शुरू की गई कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है। पुनर्विचार याचिका लंबे समय तक जजों के सामने नहीं लगी थी, जिसकी वजह से कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से भी जवाब मांगा था।
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