एक व्यक्ति के एक ही सीट से चुनाव लड़ने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

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नई दिल्लीः एक व्यक्ति को एक ही सीट पर चुनाव लड़ने (one person one election) की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इम मामले में सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि ये राजनीतिक लोकतंत्र से जुड़ा नीतिगत मसला है। इस पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार संसद को ही है। कोर्ट ने कहा मौजूदा कानून के मुताबिक एक व्यक्ति दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। जिसमे कहा गया था कि किसी उम्मीदवार के दोनों सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में उसे एक सीट छोड़ना पड़ता है। ऐसे में होने वाले उपचुनाव सरकारी खजाने पर बोझ बनते हैं। ये उन वोटरों के साथ भी नाइंसाफी है जो किसी उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि बनाने के लिए मतदान करता हैं।

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याचिका में ये भी कहा गया था कि जुलाई 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) में संशोधन की मांग की थी ताकि एक व्यक्ति एक ही पद के लिए (one person one election) एक से ज्यादा सीट पर चुनाव नहीं लड़ सके। उपाध्याय ने कहा कि 1996 तक एक व्यक्ति कई सीटों पर चुनाव लड़ सकता था। लेकिन अब सिर्फ दो पर ही लड़ सकता है। कई देशों मे सिर्फ एक सीट से ही चुनाव लड़ने का प्रावधान है। यह इसलिए भी गलत है, क्योंकि दो जगह से चुनाव जीतने के बाद एक सीट को छोड़ देता है। जिसके बाद उस सीट पर दोबारा चुनाव कराना पड़ा है। ऐसे में सरकारी खजाने पर बोझ के साथ-साथ वोटर को भी दोबारा पोलिंग बूथ तक जाना पड़ता है। इसलिए यह अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।

उल्लेखनीय है कि 1996 के पहले चुनाव में कोई भी व्यक्ति एक साथ कई सीटों से चुनाव लड़ सकता था। इसकी अधिकतम सीटों की संख्या निर्धारित नहीं थी। बस यही नियम था कि उम्मीदवार केवल ही एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है। हालांकि 1996 में रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल ऐक्ट, 1951 में संशोधन किया गया और यह तय किया गया कि अधिकतम सीटों की संख्या दो हो गई।

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