Thursday, January 30, 2025
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeछत्तीसगढ़20 दिन से रखे पादरी के शव को दफनाने के आदेश, Supreme...

20 दिन से रखे पादरी के शव को दफनाने के आदेश, Supreme Court ने कही ये बात

नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ में 20 दिन से शवगृह में रखे शव को गांव से दूर ईसाइयों के लिए निर्धारित कब्रिस्तान में दफनाने का आदेश Supreme Court ने दिया है। इससे पहले दो जजों की बेंच ने इस मामले में खंडित फैसला सुनाया था। शव शवगृह में रखा हुआ है। इसलिए उसे गांव से दूर ईसाइयों के लिए निर्धारित कब्रिस्तान में दफनाने का आदेश दिया गया।

Supreme Court ने क्या कहा

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शव को याचिकाकर्ता की निजी जमीन पर दफनाने की अनुमति दी, लेकिन जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता को गांव से दूर ईसाइयों के लिए निर्धारित कब्रिस्तान में शव दफनाने का आदेश दिया जाना चाहिए। दोनों जजों के अलग-अलग आदेशों के बाद इस मामले को बड़ी बेंच को भेजना पड़ता, लेकिन मामला बड़ी बेंच को नहीं भेजा गया। याचिकाकर्ता के पिता का शव 20 दिन से शवगृह में रखा हुआ है। इसलिए उसे गांव से 25 किलोमीटर बाहर ईसाइयों के लिए निर्धारित कब्रिस्तान में दफनाने का आदेश दिया गया।

क्या है पूरा मामला

मामला छत्तीसगढ़ के छिंदवाड़ा गांव के एक हिंदू आदिवासी का है, जिसने ईसाई धर्म अपना लिया था और पादरी बन गया था। पादरी की मौत 7 जनवरी को हो गई थी। पादरी के बेटे रमेश बघेल अपने पिता को गांव की पंचायत के कब्रिस्तान में दफनाना चाहते थे, लेकिन गांव वालों ने उनके पिता को दफनाने का विरोध किया। यहां तक ​​कि शव को उनकी निजी जमीन में दफनाने की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। इस पर याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उनके पिता के शव को गांव के कब्रिस्तान या उनकी निजी जमीन पर दफनाया जाए।

हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि गांव में ईसाइयों के लिए अलग से कोई कब्रिस्तान नहीं है, इसलिए उन्हें गांव के कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए रमेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ईसाइयों के लिए अलग से कब्रिस्तान गांव से 20 किलोमीटर दूर है। याचिकाकर्ता को वहां जाकर शव दफनाने के लिए एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई जाएगी।

यह भी पढे़ंः-MahaKumbh 2025 : मौनी अमावस्या से पहले श्रद्धालुओं का रेला, 13 करोड़ से ज्यादा लोगों ने लगाई संगम में डुबकी

उन्होंने कहा था कि गांव के कब्रिस्तान में शव दफनाने की याचिकाकर्ता की जिद गांव में कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा था कि गांव का कब्रिस्तान हिंदू आदिवासियों के लिए है, ईसाइयों के लिए नहीं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा था कि गांव का कब्रिस्तान सभी समुदायों के लिए है। उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी ईसाइयों के लिए आरक्षित स्थान पर ही कब्रिस्तान में दफनाया गया था। यदि याचिकाकर्ता एक धर्मांतरित ईसाई है, तो उसे गांव के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति न देना भेदभाव है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें