Supreme Court, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A (Citizenship Amendment Act 6A) की वैधता बरकरार रखी। दरअसल, 6A उन लोगों को भी नागरिकता प्रदान करता है जो संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भारत में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और एनआरसी को लेकर असम की पूर्व सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने का आदेश दिया है।
जानें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने क्या कुछ कहा…
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहचान और प्रवासी प्रक्रिया की निगरानी उसके स्तर पर की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अपने फैसले में कहा, “6A में जुलाई 1949 के बाद निर्वासित किए गए उन लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जिन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था।
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वहीं, 1 जनवरी 1966 से पहले निर्वासित किए गए लोगों को एस 6A के तहत नागरिकता दी जाती है।” कोर्ट ने 4:1 के बहुमत के फैसले से नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की वैधता बरकरार रखी है। जस्टिस जे पारदीवाला ने इस फैसले से असहमति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।
धारा Act-6A को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
बता दें कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा Act-6A को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि असम में 40 लाख और पश्चिम बंगाल में 56 लाख प्रवासी हैं। वहीं, act-6a के खिलाफ दायर याचिका में इसे असंवैधानिक बताया गया, क्योंकि इसमें संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग व्यवस्था बताई गई है।