चक्रवाती तूफान ‘यास’ के बीच दिखेगा सुपर ब्लड मून, जानिए वैज्ञानिकों का क्या है कहना

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कोलकाताः एक ओर बुधवार को 26 मई को बंगाल में शक्तिशाली चक्रवात यास दस्तक देगा, दूसरी ओर एक विरल खगोलीय घटना होने जा रही है। शाम को आकाश में सुपर ब्लड मून और चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा है। बुधवार को पूर्णिमा के दिन केवल आंशिक तौर पर ही चंद्रग्रहण का नजारा दिखाई देगा। इस तरह की खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए रिसर्चस हमेशा ताक लगाए रहते हैं। 1978 में 150 रिसर्च को मिलाकर स्काई वाचर एसोसिएशन बनाया गया था। इस एसोसिएशन के अधिकारी समिंद्र बसु के मुताबिक कोविड-19 संक्रमण और चक्रवात की वजह से घर से निकलना तो संभव नहीं हो सकेगा लेकिन घर से पूरी परिस्थिति पर नजर रखी जाएगी। जिन देशों में पूर्ण चंद्र देखा जाएगा, उसी देश में ब्लड मून भी देखना संभव हो सकेगा। जहां आंशिक चंद्रग्रहण है, वहां ब्लड मून नहीं दिखता। कोलकाता में शाम 6.15 बजे चंद्रोदय होगा और 6.23 बजे ग्रहण लगेगा। पश्चिम बंगाल के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, असम और मेघालय में आंशिक चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा। दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर क्षेत्र में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखेगा। यहां ब्लड मून भी दिखेगा।

इन प्रदेशों में नहीं दिखेगा चंद्रग्रहण
यह चंद्र ग्रहण उत्तर-पश्चिम-दक्षिण एवं पूर्व के अधिकांश क्षेत्रों पंजाब, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और बिहार आदि प्रदेशों में नहीं दिखाई देगा।

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ब्लड मून का मतलब
ब्लड मून का अर्थ यह नहीं है कि चंद्रमा लाल दिखाई देगा। इस घटना में चंद्रमा अपने आकार से बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। चन्द्रग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को छुपा लेती है। जिसके कारण सूर्य की रोशनी जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्रमा ज्यादा चमकीला दिखाई देता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के पास पहुंचता है तो उसका रंग ज्यादा चमकीला दिखाई देता है। इस कारण उसका आकार भी बड़ा दिखाई देता है। कुछ जगहों से देखने पर यह अलग-अलग रंगों में दिखाई भी देता है। इस घटना को सुपर ब्लड मून कहा जाता है।