गॉलबैडर स्टोन, अपेंडिक्स व यूट्रस का होता है सफल आपॅरेशन

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लखनऊः राजधानी के लोकबंधु अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा शुरू की गई है और ऑपरेशन सुचारु रूप से चल रहा है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने के मामले में यह लखनऊ क्षेत्र का अग्रणी अस्पताल बन गया है।

अस्पताल के निदेशक डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव ने कहा कि अस्पताल में रोलआउट के साथ, लक्ष्य मौजूदा क्षमता का आंकलन करने के बाद पहले चरण में इन इकाइयों को लॉन्च करना है, जो अस्पताल स्तर पर प्रशासनिक रूप से किया जा सकता है। डॉ. राजेश श्रीवास्तव से चर्चा के बाद एक तकनीकी विशेषज्ञ को बुलाया गया और निर्णय लिया गया कि मॉनिटर बदलने पर लेप्रोस्कोप ठीक से काम करेगा। आज की गई कार्रवाई उसी प्रयास का परिणाम है।

सर्जरी डॉ. राजेश श्रीवास्तव और डॉ. राजेश की टीम के साथ अन्य सर्जन डॉ. सबी मजहर और डॉ. अमित मिश्रा ने की। सभी सर्जरी लैप्रोस्कोपिक कोलेसीस्टेक्टोमी थीं, बाकी तीन मरीजों की अब तक सर्जरी नहीं हुई है। सफल सर्जरी के बाद सभी मरीज ठीक हो गए। निदेशक डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले महीने लोकबंधु अस्पताल में लेजर प्रोक्टोलॉजी सर्जरी के माध्यम से सात मरीजों का बवासीर और फिस्टुला का ऑपरेशन किया गया था।

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मरीजों को रक्त और उसके घटक उपलब्ध कराने के लिए एक जीवनदायी ब्लड बैंक भी स्थापित किया गया है। डेंगू युग में यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी को जल्द से जल्द करने और ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी, लेजर प्रोक्टोस्कोपी उपकरण और यूरोलॉजिकल सर्जरी उपकरण प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

अस्पताल के सीएमएस अजय शंकर ने बताया कि लेप्रोस्कोपी एक प्रकार का ऑपरेशन ही होता है लेकिन यह आम ऑपरेशन से काफी सुविधाजनक और बगैर चीर-फाड़ के होता है। इसके जरिए गॉलबैडर स्टोन, अपेंडिक्स, यूट्रस आदि का ऑपरेशन किया जाता है। इसमें पेट में चीरा लगाए बिना सिर्फ पेट में तीन छेद करके पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है।

इसी विधि से ऑपरेशन करवाने में मरीज को एक दिन बाद ही घर भेज देते हैं तथा इसमें किसी प्रकार के इन्फेक्शन का खतरा भी नहीं होता जबकि ओपन सर्जरी में एक हफ्ते तक अस्पताल में रहना होता है। इस विधि से ऑपरेशन से दवा भी कम, समय भी कम और इलाज में लगने वाला खर्चा भी कम होता है।