नई दिल्लीः कोरोना और रूस -यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करके स्वदेश लौटे छात्रों के लिए राहत भरी खबर है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने शुक्रवार को सर्कुलर जारी कर विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए भारत में इंटर्नशिप करने के लिए आवेदन मांगे हैं। इंटर्नशिप के लिए मेडिकल छात्रों को फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) के तहत परीक्षा देनी होगी। योग्यता पूरी करने वाले छात्र इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नए दिशा निर्देश के तहत विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करके लौटे छात्र भारत में ही अपनी एक साल की इंटर्नशिप को पूरा कर सकते हैं। इसके लिए कोरोना महामारी या युद्ध के समय चीजें काबू में न रहने का हवाला दिया गया है। एनएमसी ने यह सर्कुलर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी जारी किया है।
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एनएमसी के मुताबिक कई मेडिकल ग्रेजुएट छात्र रूस-यूक्रेन जंग एवं कोरोना के कारण अपनी इंटर्नशिप पूरी नहीं कर पाए हैं। इन छात्रों की परेशानी को देखते हुए उनके भारत में इंटर्नशिप के आवेदन को योग्य माना जाएगा। एनएमसी के सर्कुलर के मुताबिक राज्य की काउंसिल इस बात का ध्यान रखेगी कि विदेशी मेडिकल छात्रों ने एनबीई की ओर से आयोजित एफएमजीई परीक्षा को पास किया हो। अगर छात्र सभी योग्यताओं को पूरा करते हैं तो उन्हें राज्य चिकित्सा परिषद की ओर से 12 महीने की इंटर्नशिप के लिए अंतरिम पंजीकरण दिया जाएगा।
फॉरेन मेडिकल छात्रों को भी मिलेगा भारतीय छात्रों के बराबर स्टाइपेंड
सर्कुलर के मुताबिक राज्य परिषद इस बात का भी ध्यान रखेगी कि छात्रों से इंटर्नशिप पूरी करने के लिए कॉलेज की ओर से कोई भी शुल्क न लिया जाए। सर्कुलर में बताया गया है कि फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट को मिलने वाले स्टाइपेंड को भी भारत के सरकारी कॉलेज के मेडिकल छात्रों के बराबर किया जाएगा।
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