चंडीगढ़ः सरकार और विभाग के अड़ियल रवैये के कारण 20 हजार आशा कार्यकर्ता पिछले 45 दिनों से हड़ताल पर हैं। जिसके कारण मातृ एवं शिशु देखभाल एवं टीकाकरण सहित आशा कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला सर्वेक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सरकार और विभाग आशा कार्यकर्ताओं की मांगों का समाधान कर हड़ताल खत्म कराना तो दूर, औपचारिक वार्ता तक करने को तैयार नहीं है। जिससे आशा कार्यकर्ताओं का गुस्सा और हड़ताल लंबी होती जा रही है। यह आरोप अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने लगाया।
उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर आशा कार्यकर्ताओं की मांगों का समाधान कर हड़ताल समाप्त कराने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि शायद यह पहली ऐसी घटना है जब किसी संगठन के बीस हजार कर्मचारी डेढ़ माह से हड़ताल पर हैं और सरकार व विभाग वार्ता की प्रक्रिया तक शुरू नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह कतई स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि 28 अगस्त को विधानसभा मार्च के दौरान सभी जिलों में जगह-जगह गिरफ्तारियां कर नेताओं को डराने-धमकाने की सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हड़ताली आशा कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है। उन्होंने कहा कि राज्य की 20 हजार आशा कार्यकर्ता 25 सितंबर को पूरे राज्य में जेल भरो आंदोलन के तहत जिला मुख्यालयों पर गिरफ्तारी देकर एक नया इतिहास रचेंगी। उन्होंने जेल भरो आन्दोलन का पुरजोर समर्थन किया।
यह भी पढ़ेंः-लालू प्रसाद के दबाव में कांग्रेस नहीं कर सकी महिला आरक्षण बिल पास, बोले सुशील मोदी
आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की महासचिव सुनीता और अध्यक्ष सुरेखा ने कहा कि जब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार 7-8 प्रोत्साहन राशि को अधिक वेतन बता रही है। लेकिन वह यह नहीं बता रही कि आशा कार्यकर्ता से स्थायी कर्मचारी की तरह 70-80 हजार रुपये लेकर काम ले रही है। न ही सरकार यह बताने की जहमत उठाती है कि 2018 के बाद से हमने आशा कार्यकर्ताओं पर काम बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)