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सीएम योगी की ताबड़तोड़ जनसभाओं ने किया विपक्ष का हौसला पस्त

cm-yogi-aditynath लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी निकाय चुनाव के प्रचार के दौरान एक जनसभा में एक पंचलाइन बोली थी, “नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी सब चंगा“। सीएम योगी की यह पंचलाइन निकाय चुनाव के दौरान खूब हिट रहा। इसका निहितार्थ वह सुशासन है जिसमें अपने पहले कार्यकाल से ही अपराधियों, माफिया एवं भ्रष्टाचारियों के प्रति उनकी जीरो टॉलरेंस नीति के प्रति प्रतिबद्धता रही। यह प्रतिबद्धता राज्य सरकार के एक्शन में दिखती भी है।

कानून-व्यवस्था और विकास के मुद्दे को मिला भरपूर समर्थन

निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां भी गये स्थानीयता को जोड़ते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था और विकास को ही केंद्र में रखा। कानपुर में अपने संबोधन में कहा कि पहले यहां कट्टा बनता था, अब डिफेन्स कॉरिडोर में सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार बनेंगे। गोरखपुर जनपद में माफिया के जमाने की गैंगवार की ओर इशारा किया तो हरदम की तरह आजमगढ़ में किस तरह दुर्दांत अपराधियों की वजह से यहां के युवाओं को देश में पहचान का संकट खड़ा हो गया था, इसका जिक्र किया। आज नगर निकाय के परिणाम के जरिए करोड़ों लोगों ने इस बात की तस्दीक कर दी कि उनको सीएम योगी का सुशासन पसंद है, क्योंकि यह शहर के विकास की बुनियादी शर्तों में से एक है।

फिर सफल कप्तान साबित हुए सीएम योगी

अगर प्रचार के लिहाज से देखा जाए तो यह सीएम योगी की सफलतम कप्तान जैसी पारी रही। चुनाव की घोषणा होते ही सीएम योगी ने जीत के लिए पुरजोर कोशिश की और पूरी ऊर्जा के साथ मैदान में उतरे। सरकार के उनके अन्य सहयोगियों एवं संगठन ने भी ट्रिपल इंजन की सरकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन हर खेल की तरह जीत-हार का श्रेय कप्तान को ही जाता है।

योगी ने की कुल 50 जनसभाएं

यूपी नगर निकाय के दो चरणों में संपन्न इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी ने कुल 50 जनसभाएं की। वह भी तब जब पिछले चुनाव में 16 नगर निगमों में से 14 पर भाजपा के मेयर जीते थे। बीच में यदि तीन दिन कर्नाटक के चुनाव में व्यस्तता नहीं होती तो सीएम योगी की जनसभाओं की संख्या में इजाफा हो सकता था। सीएम योगी के ताबड़तोड़ जनसभाओं का ही परिणाम था कि यूपी की सभी 17 नगर निगमों पर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की। यह भी पढ़ेंः-Karnataka Election 2023: कर्नाटक में वे ‘पांच वादे’ जिन पर कांग्रेस...

विपक्ष शुरू से ही बैकफुट पर

सीएम योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं की तुलना यदि विपक्ष से करेंगे तो यही लगेगा कि उसने अपनी पहले ही हार मान ली थी। पहले ही विपक्ष ने भाजपा को वॉकओवर दे दिया था। कांग्रेस तो कर्नाटक विधानसभा के चुनावों में ही व्यस्त रही। कांग्रेस को कोई भी बड़ा नेता मैदान में उतरा ही नहीं। बसपा ने उम्मीदवारों से समन्वय की पूरी जिम्मेदारी स्थानीय समन्वयकों पर ही छोड़ दी थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करने के लिए निकले तो जरूर लेकिन यह केवल रस्म अदायगी ही अधिक लगी। कुल मिलाकर अखिलेश यादव प्रचार के लिए केवल 7 नगर निगमों गोरखपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, कानपुर अलीगढ़ एवं मेरठ में ही गये। शहरी निकायों में उनका दौरा कन्नौज और औरैया तक ही सीमित रह गया। नतीजतन 17 नगर निगम की सीटों पर भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवारों की जीत हुई। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)