एआई के जरिए अपराधियों की क्राइम कुंडली बनाएगी एसटीएफ

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STF will create crime horoscope of criminals through AI

लखनऊः यूपी के अपराधी की पहचान अब यूपी पुलिस के फिंगर टिप्स पर रहेगी। बस कम्प्यूटर के माउस के एक क्लिक से अपराधी के बारे में सारी जानकारी मॉनिटर पर दिखने लगेगी। शासन से मंजूरी मिलते ही यूपी पुलिस अपराध प्रोफाइल के सबसे बड़े डाटा बैंक को बनाने की कवायद शुरू कर देगी। इसको तैयार करने के लिए अपराधियों का डेटा एकत्र करने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित प्रक्रिया के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करने के लिए निविदाएं भी जारी कर देगी।

यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) के तहत आपराधिक डेटा बैंक स्थापित किया जाएगा। एक बार जब डेटा एकत्र हो जाएगा और अपराध प्रोफाइल तैयार कर ली जाएगी, तो संभावित संदिग्धों की पहचान करने के लिए एसटीएफ किसी विशेष अपराध से संबंधित कीवर्ड के आधार पर डेटा बैंक को फिल्टर करने में सक्षम हो जाएगा। ऐसी प्रणाली का उपयोग तेलंगाना पुलिस और दिल्ली पुलिस विशेष सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) इकाई द्वारा किया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हाल ही में हुई समीक्षा बैठक की मीडिया रिपोर्ट में यूपी सरकार द्वारा एसटीएफ को और मजबूत करने के लिए बजट आवंटित करने के साथ-साथ एसटीएफ द्वारा एआई-आधारित प्रणाली प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

अपराध के खिलाफ योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करते हुए यूपी एसटीएफ ने 03 करोड़ रुपए की लागत से एआई-आधारित आपराधिक डेटा निर्माण और पुनर्प्राप्ति प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसके लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं और चार कंपनियों ने राज्य में स्थापित करना में इसमें गहरी रुचि भी दिखाई है। समीक्षा बैठक में सीएम ने खतरनाक अपराधियों, अवैध मादक पदार्थ तस्करों, अवैध हथियार तस्करों, परीक्षा माफिया और फर्जी शिक्षकों के साथ-साथ आतंकवादियों के खिलाफ यूपी एसटीएफ की कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया था।

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एक अधिकारी ने कहा कि नई एआई-आधारित प्रणाली चेहरे, आवाज और अपराध के तरीके के मिलान के लिए उपकरण प्रदान करके अपराधियों की पहचान करने में मदद करेगी। अधिकारी ने कहा कि तेलंगाना के बाद यूपी में ऐसा सिस्टम लगाया जा रहा है। यह सिस्टम यूपी पुलिस को राज्य में अपराधियों का पूरा डेटाबेस बनाने में मदद करेगा। पहले यह काम क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए किया जाता था। एआई का उपयोग करके आपराधिक डेटाबेस के एकीकरण के साथ चेहरे की पहचान कुछ ही सेकंड में की जाएगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, उनकी आवाजें, अपराध को अंजाम देने के तरीके, पारिवारिक पृष्ठभूमि और आपराधिक इतिहास भी आसानी से उपलब्ध होंगे।

रिपोर्ट-पवन  सिंह चौहान

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