लखनऊः उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में घटे चर्चित बिकरु कांड में स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने मुख्य आरोपित एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे की मदद करने वाले सात मददगारों को गिरफ्तार करने का दावा किया गया है। इनके कब्जे से असलहों का जखीरा भी बरामद हुआ है। एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने कानपुर के एसटीएफ कार्यालय में प्रेसवार्ता कर इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि विकास दुबे की मदद करने वाले सात मददगार को गिरफ्तार किया गया है। इनमें कानपुर देहात निवासी विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला, रामजी उर्फ राधे, अभिनव तिवारी, मध्य प्रदेश के मनीष यादव और कानपुर देहात के संजय परिहार, शुभम पाल को गिरफ्तार किया गया है। इन सभी को कानपुर एसटीएफ यूनिट के क्षेत्राधिकारी तेज बहादुर सिंह व इंस्पेक्टर के नेतृत्व वाली 14 सदस्यीय टीम ने काफी प्रयासों के बाद कानपुर के पनकी थाना इलाके, कानपुर देहात में समेत तीन जगहों से दबिश देकर पकड़ा गया है। इनकी निशानदेही पर भारी मात्रा में असलहों का जखीरा बरामद किया गया है।
यूपी एसटीएफ के एडीजी ने बताया कि मोस्ट वांटेंड विकास दुबे के गिरोह के सदस्य अत्याधुनिक असलहों से लैस थे। उन्होंने बताया कि बिकरु कांड के बाद विकास समेत गिरोह के खास सदस्य भाग निकले थे। एसटीएफ के एडीजी ने बताया कि घटना के बाद विकास को शरण व भागने में मदद करने वालों के पास ही असलहों को छोड़ दिया गया था। इन असलहों की जानकारी पर एसटीएफ की टीमें बरामद करने में जुटी हुई थी। कानपुर इकाई की एसटीएफ टीम ने सात शरणदाताओं को पकड़ा है, इनके कब्जे से एसटीएफ को एक अमेरिकी सेमी ऑटोमैटिक राइफल, 9 एमएम कार्बाइन, एक रिवॉल्वर, 315 बोर के तमंचे, एके-47 के कारतूस, स्प्रिंग फील्ड राइफल समेत करीब 132 कारतूस बरामद किए हैं। उन्होंने बताया कि एसटीएफ की टीम को विकास दुबे का आईफोन, अमर और प्रभात के मोबाइल बरामद हुए हैं। इसके साथ ही दो लाख पांच हजार नगद मिले हैं। साथ ही एसटीएफ ने वह कार भी बरामद कर ली है, जिससे विकास दुबे घटना को अंजाम देने के बाद लेकर फरार हुआ था। पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में यह भी पता चला है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उसमें एक व्यक्ति के घर पर विकास दुबे दो दिन तक रहा।
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उन्होंने बताया कि अभी तक बरामद विकास दुबे, अमर दुबे व प्रभात मिश्रा के मोबाइलों को खोला नहीं गया है। इनके मोबाइल खोलने के लिए विधि प्रयोगशाला भेजा जाएगा। मोबाइलों के खोलने के बाद गिरोह से जुड़े व वारदात वाली पूरी योजना का खुलासा हो सकता है। साथ ही विकास से किन-किन सफेदपोशों से सम्पर्क थे और उसकी किन लोगों द्वारा मदद की जा रही थी, उसके भी राज खुल सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जनपद चैबेपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई 2020 की देर रात को दबिश पर गई पुलिस टीम पर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। घटना को अंजाम देने के बाद ही विकास दुबे रात में ही भागकर अपने सहयोगियों के पास जाकर छिप गया था। घटना के करीब एक सप्ताह के बाद ही मध्य प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे को महाकाल मंदिर से पकड़कर यूपी एसटीएफ के सुपुर्द किया था। मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय गाड़ी पलट जाने पर विकास ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया था। जबकि उसके कई साथी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं और इस मामले में 37 लोग जेल में हैं।