लखनऊः संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एण्डोक्राइन सर्जरी वार्ड द्वितीय का उद्घाटन रविवार को संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने किया। इस वार्ड के शुरू हो जाने से बिस्तरों की संख्या में वृद्धि के साथ वार्डों में प्रवेश के लिए मरीजों को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। इसके समानांतर ऑपरेशन थिएटर की क्षमता भी निकट भविष्य में दो ऑपरेशन थिएटरों से बढ़ाकर तीन की जा रही है। इससे स्तन कैंसर, अंतःस्रावी कैंसर और ट्यूमर के मरीजों के इलाज में सुविधा होगी।
संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने बताया कि एसजीपीजीआई का एण्डोक्राइन सर्जरी विभाग स्तन कैंसर के रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। एण्डोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गौरव अग्रवाल ने बताया कि मरीजों के लिए बेड और ऑपरेशन थिएटर में वृद्धि से न केवल रोगियों को लाभ होगा, बल्कि एमसीएच और पीडीसीसी ब्रेस्ट कोर्स में नामांकित वरिष्ठ रेजिडेंट्स के प्रशिक्षण और कौशल विकास में भी सुधार होगा। इससे सार्थक शोध को भी बढ़ावा मिलेगा। एण्डोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी विभाग की स्थापना सितंबर 1989 में मात्र 10 बेड के साथ की गई थी। एक नवीन सर्जिकल विशिष्ट विभाग के रूप में यह देश का प्रथम शैक्षणिक विभाग था।
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पिछले 33 वर्षों में विभाग ने खुद को देश में एक प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित किया है और पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है। यह विभाग स्तन कैंसर एवं दुर्लभ अंतःस्रावी विकारोंसे ग्रस्त रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसने उत्तर भारत में इस तरह के विकारों के समग्र उपचार लिए स्वयं को एक प्रमुख तृतीयक रेफरल केंद्र के रूप में स्थापित किया है। एण्डोक्राइन सर्जरी विभाग में थायरॉयड, पैराथायरायड, अधिवृक्क और अग्नाशय से संबंधित विभिन्न अंतःस्रावी विकारों में विशेष रूप से जटिल री-ऑपरेटिव थायरॉयड प्रक्रियाओं, थायरॉयडेक्टॉमी, पैराथायरायडेक्टोमी, लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक एड्रिनल और अग्नाशय सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। हाल के वर्षों में रोगियों की संख्या बढ़ने के कारण अब बिस्तरों की संख्या 30 से बढ़ाकर 60 कर दी गयी है।
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