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जम्मू-कश्मीर राज्य केवल कश्मीर केन्द्रित राजनीति का शिकार रहा : स्वामी दिव्या नंद सरस्वती

जम्मू: पिछले सात दशकों का इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि जम्मू-कश्मीर राज्य केवल और केवल कश्मीर केन्द्रित राजनीति का शिकार रहा है तथा वहां पनपने वाले आंदोलन भी केवल कश्मीर घाटी तक सीमित थे। जम्मू व लद्दाख ने सदैव कश्मीर केन्द्रित राजनीति का विरोध किया है।

यह बात स्वामी दिव्या नंद सरस्वती ने गीता भवन में ‘श्री सनातन धर्म’ सभा की ओर से आयोजित एक गोष्ठी में कही। 5 अगस्त 2019 को 370 अनुच्छेद तथा 35ए के समाप्त होने के बाद देशभर में 5 अगस्त को एकात्मता दिवस मनाया जा रहा है। इसकी पूर्व संध्या पर श्री सनातन धर्म सभा की ओर से गीता भवन में आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में जम्मू बार कोंसिल के पूर्व अध्यक्ष अभिनव शर्मा ने कहा कि संविधान समिति के विरोध के बावजूद और शेख अब्दुल्ला को प्रसन्न करने के लिए नेहरू ने अनुच्छेद 370 लागू करवा दिया था। उसके बाद अनुच्छेद 35ए चोरी से इसमें जोड़ दिया गया। यह भारतीय संविधान का घोर अपमान था। 35ए के कारण कश्मीरी के हुकमरानों को खुलकर मनमर्जी करने का अवसर मिल गया। जम्मू और लद्दाख के हितों को दर किनार कर दिया गया। अनुच्छेद 370 व 35-ए निरस्त होने के बाद सही दिशा में सोचने वाले लोगों ने सुख की सांस ली है।

सभा के प्रधान पुरुषोत्तम दधीचि ने राज्य सरकार के रचनात्मक कदमों की प्रशंसा करते हुए अपेक्षा की कि राष्ट्रवादी ताकतों को और मजबूती प्रदान की जायेगी। इस अवसर पर सभा के महासचिव प्रभात सिंह, सचिव पवन बडडू, सह सचिव दिलीप गुप्ता, कुशल कुमार सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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