श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के हैदरपोरा में हाल ही में हुई मुठभेड़ को प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने ‘हत्याकांड’ करार दिया और इस घटना की जांच की मांग की। प्रवासी कश्मीरी पंडितों के सुलह, वापसी और पुनर्वास मामलों से जुड़े संगठन के अध्यक्ष सतीश महलदार के अनुसार, “हैदरपोरा की स्पष्ट रूप से घटना का मामला प्रतीत होता है।” उन्होंने दावा करते हुए कहा, “यह हत्या एक इंसान की दूसरे द्वारा द्वेष के साथ की गई अन्यायपूर्ण हत्या है। सोमवार की मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से दो के परिवारों ने पुलिस के बयान का स्पष्ट रूप से खंडन किया है।”
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उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, आतंकवाद नागरिक समाज को भी कमजोर करता है, शांति और सुरक्षा को खतरे में डालता है और यह कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए खतरा है। महलदार ने कहा कि इन सभी ने प्रत्येक कश्मीरी के मानवाधिकारों पर वास्तविक प्रभाव डाला है। उनका कहना है कि “आपराधिक कानून का अंतिम उद्देश्य दूसरों के आक्रमण के खिलाफ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा है – कानूनविहीन अपराधियों के खिलाफ कमजोरों की सुरक्षा।”
उन्होंने कहा हैदरपोरा की घटना पूर्ण स्वार्थ, लालच और असहिष्णुता का मामला प्रतीत होता है, जिसके कारण अन्य नागरिकों को जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति से वंचित होना पड़ा और राज्य को नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। महलदार ने मांग की कि महानिदेशक (जांच) जम्मू-कश्मीर पुलिस हैदरपोरा घटना की तथ्यों पर आधारित जांच करने के लिए पांच सदस्यों- एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, दो डिप्टी एसपी और दो निरीक्षकों की एक जांच टीम का गठन करे।
बता दें कि श्रीनगर शहर के हैदरपोरा इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में चार लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों की पहचान एक विदेशी आतंकवादी, जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले से संबंधित उसके सहयोगी, जहां मुठभेड़ हुई उस इमारत के मालिक अल्ताफ अहमद और इमारत के एक फ्लोर पर कॉल सेंटर चलाने वाले डॉ. मुदासिर के रूप में की गई है।
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