Sunday, November 17, 2024
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Homeफीचर्डशोहरत ही नहीं करियर भी बनाता है खेल

शोहरत ही नहीं करियर भी बनाता है खेल

खेल जगत में यदि कोई महिला या पुरुष खिलाड़ी नाम कमा रहा है, तो यह पूरे देश के लिए सम्मान की बात होती है। हम सब गर्व करते हैं अपने इन खिलाड़ियों पर। खेलों में नेशनल या इंटरनेशनल स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले को सरकार नकद पुरस्कार भी देती है। मगर, पुरस्कार की यह धनराशि पूरा जीवन गुजारने के लिए काफी नहीं मानी जाती है। हर नामचीन खिलाड़ी की यह दिली तमन्ना रहती है कि उसे अच्छी नौकरी भी मिले, ताकि बाकी जिंदगी आराम से कट सके। पुरस्कार की राशि क्षणिक सुख तो दे सकती है, पर जो सुकून और सामाजिक सुरक्षा नौकरी करते रहने से मिलती है उसका आनंद ही अलग होता है। तब समाज में आपको कोई हेय दृष्टि से नहीं देखता, इसीलिए हर युवा खिलाड़ी सरकार से नौकरी की चाहत रखता है।

अपना और परिवार का पेट भरने के लिए नौकरी-चाकरी तो हर इंसान करना चाहता है। इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर सकता। कुछ अपवाद हो सकते हैं, लेकिन जीवन में कोई भी ‘खाली हाथ‘ घर नहीं बैठना चाहता। इसीलिए केन्द्र और राज्य सरकारों ने स्पोटर्स कोटा के तहत खिलाड़ियों को सेवा में रखने की व्यवस्था की है। इसके अलावा भारतीय सेना, रेल मंत्रालय, केन्द्र और राज्य के पुलिस बल, सरकारी बैंक, केन्द्रीय व राज्य सरकारों के विश्वविद्यालय और सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों में स्पोटर्स कोटा के अतंर्गत नौकरियां दी जाती हैं। यही कारण है कि अब खेलों को करियर बनाने के रूप में देखा जा रहा है। आज समय काफी बदल चुका है। खेलों का विकास जिस तरह से हुआ है और केन्द्र सरकार ने ‘खेलो इंडिया‘ और ‘फिट इंडिया‘ योजना शुरू करके युवा प्रतिभाओं को निखारने की पहल की है, उससे इस तरफ आकर्षण बढ़ा है। खेलों में युवा अपना सुरक्षित भविष्य देख रहे हैं। खेल के क्षेत्र में आज लड़कियां जिस तेजी से आगे बढ़ रही हैं, वह भी एक सुखद संकेत है। हमारी बेटियां किसी से कम नहीं हैं। आइए, चर्चा करते हैं कुछ ऐसी ही हस्तियों की-

हिमा दास असम में बनी पुलिस उपाधीक्षक

पूर्वोत्तर के राज्य असम से निकली हिमा दास पर आज हर भारतवासी को नाज है। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई करने की तैयारी में जुटी अनुभवी फर्राटा धाविका हिमा दास को हाल ही में असम सरकार ने पुलिस विभाग में डिप्टी एसपी पद पर नियुक्त किया है। असम के धींग नामक स्थान पर 9 जनवरी 2000 को जन्म लेने वाली हिमा ‘धींग एक्सप्रेस‘ के नाम से मशहूर हैं। वह फिलहाल एनआईएस पटियाला में अभ्यास कर रही हैं। नौकरी पाने पर हिमा ने असम के मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे उन्हें भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं प्रदेश और देश की सेवा करने को बेकरार हूं। आपको यह जानकर गर्व होगा कि गोल्डन गर्ल हिमा दास ने एक बार पुरस्कार में मिली पूरी राशि असम में बाढ़ पीड़ितों के लिए दान कर दी थी। 2018 में फिनलैंड के तांपेर में आयोजित वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में हिमा स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय एथलीट बनी थी। इसके बाद चेक गणराज्य में अप्रैल 2019 में हुई एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप में उन्होंने 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपना दूसरा सबसे अच्छा समय 52.09 सेकेंड निकाला। इस तरह एक ही महीने में हिमा दास ने 5वां स्वर्ण पदक जीत कर सबको अचंभित कर दिया। देश को उम्मीद है कि यह बेटी ओलंपिक में कोई पदक अवश्य जीते।

उत्तर प्रदेश की शान हैं सुधा सिंह

यूपी के रायबरेली जनपद की निवासी सुधा सिंह एथलेटिक में एक जाना-पहचाना नाम हैं। इसी साल 26 जनवरी पर केन्द्र सरकार ने सुधा को पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान किया है। सुधा सिंह ने लखनऊ के स्पोटर्स हास्टल से एथलेटिक्स का ककहरा सीखा। जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में स्टीपल चेज स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया। 2010 के एशियाड में सुधा ने स्वर्ण और रजत पदक जीता था। उसने ओलंपिक में भी भाग लिया। केन्द्र सरकार ने उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी दिया है। इन उपलब्धियों के आधार पर अगस्त 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें 30 लाख की पुरस्कार राशि और राजपत्रित अधिकारी की नौकरी देने की पेशकश की। 32 साल की सुधा की कहानी थोड़ी आहत करने वाली भी है। स्पोटर्स कोटा में नौकरी के लिए उनकी फाइल 2014 से उप्र शासन के पास पड़ी थी। मनमुताबिक नौकरी नहीं मिलने से सुधा निराश थीं। दरअसल, वह खेल विभाग में काम करने की इच्छुक थीं। 2005 से वह मध्य रेलवे में काम कर रही थीं, मगर अपने प्रदेश में आना चाहती थीं। यहां ध्यान देने की बात यह है कि 2015 में उप्र सरकार के एक आदेश में कहा गया था कि ओलंपिक और एशियाड में पदक जीतने वाले खिलाड़ी को सरकारी नौकरी दी जाएगी, पर सुधा के मामले में इस आदेश का पालन नहीं हुआ। उन्होंने 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने की तीन बार कोशिश भी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी कुंठा के कारण वह 2016 के रियो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं। सुधा खेल निदेशालय में उप निदेशक का पद चाहती थीं। सीएम योगी ने उन्हें पुलिस उपाधीक्षक का पद ऑफर किया था, यह उन्हें स्वीकार नहीं है। इस तरह उनका केस लटका हुआ है और वह फिलहाल रेलवे की सेवा में हैं।

ओडिशा की दुती चंद भी किसी से कम नहीं

ओडिशा की दुती चंद की चर्चा भी खूब होती है। वह 100 मीटर के इवेंट में महिला एथलीट हैं। वह भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में 100 मीटर में क्वॉलीफाई किया। इस तरह वह रियो ओलंपिक में खेलने गईं। दुती ने 2018 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीतकर सबका ध्यान खींचा। इटली में जुलाई 2019 में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में दुती ने इतिहास रच दिया था। वह यहां गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला बन गईं। इन उपलब्ध्यिों को देखते हुए ओडिशा सरकार ने दुती को माइनिंग कॉरपोरेशन में सहायक प्रबंधक के पद पर नियुक्त किया। दुती का जन्म जाजपुर जिले में एक गरीब बुनकर परिवार में हुआ है।

पीवी सिंधू को आंध्र सरकार ने दी नौकरी

बैडमिंटन के खेल में पीवी सिंधू ने भारत का नाम रोशन किया है। हर देशवासी उनके नाम से परिचित है। 2016 के रियो ओलंपिक में रजत पदक हासिल करके इस बेटी ने पूरे भारत को गर्व करने का मौका दिया था। अपने कोच गोपीचंद के मार्गदर्शन में सिंधू एक बड़ी खिलाड़ी हो गई है। ओलंपिक में पदक जीतने का सपना हर खिलाड़ी देखता है लेकिन उसे साकार कर पाना टेढ़ी खीर होती है, पर भारत की इस बेटी ने यह कर दिखाया। इसी कामयाबी के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंधू को ग्रुप वन ऑफिसर का पद दिया है। उन्होंने यह प्रस्ताव खुशी से स्वीकार कर लिया था।

हॉकी खिलाड़ियों को कई विभागों ने दी नौकरी

देश के लिए ओलंपिक और विश्व कप हॉकी में खेलने वाले कई नामी खिलाड़ियों को सरकारी बैंक और अन्य विभागों ने नौकरियां दी हैं। पूर्व ओलंपियन सैयद अली और रवीन्द्र पाल भारतीय स्टेट बैंक में अपनी सेवा दे चुके हैं। ये दोनों उत्तर प्रदेश के हैं। एक और हॉकी स्टार दानिश मुस्तफा प्रदेश के बिजली विभाग में काम कर रहे हैं। दानिश दो बार ओलंपिक में खेल चुके हैं। कई हॉकी खिलाड़ी इंडियन एयरलाइंस और रेलवे में काम कर चुके हैं। ढेर सारे खिलाड़ी वर्तमान में भी सेवाएं दे रहे हैं। पूर्व कप्तान परगट सिंह पंजाब पुलिस में अधिकारी रहे। पूर्व ओलंपियन यूपी के देवरिया जिले के निवासी रामप्रकाश सिंह खेल निदेशालय में निदेशक हैं। वह नब्बे के दशक में फारवर्ड की पोजीशन से हॉकी के मशहूर खिलाड़ी रहे हैं। वाराणसी से मोहम्मद शाहिद भारतीय हॉकी का एक बड़ा नाम है। वह स्पोटर्स कॉलेज लखनऊ से निकले थे। उन्होंने भारतीय रेलवे में खेल अधिकारी के रूप में सेवा की। शाहिद को 1986 में पद्मश्री पुरस्कार मिला। मास्को ओलंपिक-1980 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का वह हिस्सा थे। जफर इकबाल के साथ वह फारवर्ड लाइन की पोजीशन से खेलते थे। 2016 में उनका निधन हो गया।

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खिलाड़ियों को सैल्यूट करती है भारतीय सेना

खेलों में करियर के लिहाज से भारतीय सेना भी एक बढ़िया विकल्प है। सेना और खेलों के बीच बहुत नजदीकी रिश्ता है। स्पोटर्स कोटे के तहत सेना इन्हें अपने यहां काम का अवसर देती है। इसके अलावा कई बड़े खिलाड़ियों को मानद पद देकर भी सेना अपने साथ जोड़ती है। ये नाम सेना के लिए ब्रांड एंबेसडर की तरह चर्चित हो जाते हैं। सेना में काम करने का मौका मिलना अथवा किसी भी तरह इससे जुड़ना एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। सचिन तेंदुलकर से लेकर महेन्द्र सिंह धोनी तक इस सूची में शामिल हैं। सेना के पैराशूट रेजीमेंट ने धोनी को कर्नल का मानद पद दिया है। 2011 में शूटर अभिनव बिन्द्रा को टेरीटोरियल आर्मी ने ले. कर्नल की रैंक दी। वायु सेना ने ग्रुप कैप्टन का पद देकर सचिन तेंदुलकर को अपने साथ जोड़ा था। इसी तरह 2008 में टेरीटोरियल आर्मी ने पूर्व कप्तान कपिल देव को ले. कर्नल बनाया। सेना के सूबेदार मेजर विजय कुमार ने 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत को निशानेबाजी में रजत पदक दिलाया था। ले. कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में शूटिंग में रजत पदक हासिल कर देश का मान बढ़ाया था। एक और बड़ा नाम मिल्खा सिंह का है, जो सेना के थे और 1958 के एशियाई खेलों में प्रदर्शन की वजह से उन्हें जूनियर कमीशंड ऑफिसर का पद दिया गया। वह ऐसे एथलीट थे, जिनके नाम पर बॉलीवुड में ‘भाग मिल्खा भाग‘ फिल्म बनी। मौजूदा दौर की बात करें तो उत्तर प्रदेश के निशानेबाज जीतू राय इस समय गोरखा रेजीमेंट में नायब सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। वह कई इंटरनेशनल चैंपियनशिप में पदक हासिल कर चुके हैं। इससे यह पता चलता है कि हमारी सेना खिलाड़ियों का बहुत सम्मान करती है। देश के मशहूर स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह सेना में तो नहीं, लेकिन पंजाब पुलिस में अधिकारी हैं। महिला क्रिकेट खिलाड़ी हरमनप्रीत को भी पंजाब सरकार ने पुलिस में नौकरी दी है। हरियाणा सरकार भी एशियाड या ओलंपिक में पदक विजेता खिलाड़ियों को नौकरी देती है।

आदर्श प्रकाश सिंह

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