Ghosi Byelection: मऊः हमारी संस्कृति में सात नदियों की पूजा की जाती है, जिन्हें “सप्त सिन्धु“ कहा जाता है। सात ऋषियों की पूजा की जाती है और उन्हें “सप्त ऋषि“ कहा जाता है। सात रंगों को महत्वपूर्ण माना जाता है, जिन्हें “सप्त रंग“ कहा जाता है। इसी प्रकार समाजवादी पार्टी जिन सात चीज़ों से बनी है उन्हें सात पाप कहा जा सकता है। एसपी (स और पा= सपा) इन सात पापों से बना है। राज्य के शहरी विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने यह बातें घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में प्रचार के दौरान कहीं।
उन्होंने सात पाप गिनाते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी भीमराव आंबेडकर की विचारधारा के बिल्कुल विपरीत है। उनका बिल्कुल भी समर्थन न करें। उनका समर्थन करना सांप को दूध पिलाने जैसा है। यदि हम उन्हें मजबूत करेंगे तो हम अपना जीवन असुरक्षित कर लेंगे। उन्होंने सपा के सात पाप गिनाए और कहा कि पहला पाप यह है कि समाजवादी पार्टी की सोच के मुताबिक अगर कोई बड़े पद पर बैठेगा तो वह उनके परिवार का ही सदस्य होगा। वह चाहे मुख्यमंत्री बनें, सांसद बनें। विधायक बन सकते हैं या किसी बड़े पद पर आसीन हो सकते हैं।
दूसरा पाप यह है कि वे सही और गलत में फर्क करना नहीं जानते। तीसरा पाप है शिक्षा का अवमूल्यन। 90 के दशक में जब प्रदेश में सपा सरकार सत्ता में आई तो शिक्षा का अवमूल्यन शुरू हो गया। उनका चौथा पाप यह है कि इनके राज में नौकरियाँ भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयीं। युवा ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उनका पांचवां पाप, उनके परिवार के सदस्य आज़मगढ़ से सांसद रहे, जिन्होंने उन्हें लोकसभा तक पहुंचाया, लेकिन उन्होंने आज तक इस मंडल में कुछ नहीं किया। मंत्री ने भ्रष्टाचार को छठा पाप बताया।
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उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। चाचा हो या चाची, भाभी हो या भतीजा, सभी अपनी-अपनी दुकानें खोलकर बैठे हुए थे। वहीं सातवें पाप के तौर पर माफिया और गुंडों को संरक्षण देना बताया गया। उन्होंने कहा कि कहीं और न जाएं, ये मऊ जिला ही गवाह है कि यहां माफियाओं और गुंडों को संरक्षण देकर निर्दोष लोगों की हत्या की गई।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी बाबा साहेब अम्बेडकर और पं.दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों और सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है। सामाजिक समरसता और बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की भावना उनके आदर्शों में से एक है। मंत्री ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा के काफी करीब है। जबकि अन्य राजनीतिक दल उनके विपरीत हैं।
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