Thursday, January 23, 2025
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeटॉप न्यूज़14 हजार फीट ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को भी मिल सकेगा बेहतर...

14 हजार फीट ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को भी मिल सकेगा बेहतर इलाज, खोला गया ड्रेसिंग…

नई दिल्लीः चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 जवानों की शहादत के दो साल बाद भारतीय सेना ने पहली बार लद्दाख की गलवान घाटी में एक फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन खोला है। उच्च ऊंचाई पर तैनात सैनिकों में हाइपोथर्मिया या अन्य तरह से घायल होने के कई मामले सामने आए हैं लेकिन अब 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन में बेहतर इलाज मिल सकेगा। गलवान घाटी में फील्ड अस्पताल न होने से चीनी सैनिकों के साथ हिंसक संघर्ष के समय भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

लद्दाख सीमा पर अग्रिम चौकियों पर तैनात भारतीय सैनिक उच्च ऊंचाई की लड़ाइयों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। इसके बावजूद माइनस के तापमान में हाइपोथर्मिया जैसी चिकित्सा आपात स्थिति होती है, जब जवानों का शरीर गर्मी पैदा करने की तुलना में तेजी से गर्मी खोने लगता है, जिससे शरीर का तापमान खतरनाक रूप से कम हो जाता है। इस स्थिति में जवानों को फील्ड अस्पताल में ले जाना पड़ता है। इसी तरह गोली लगने या अन्य किसी तरह घायल होने पर फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन की जरूरत पड़ती है। गलवान घाटी में दो साल पहले चीनी सैनिकों के साथ हिंसक संघर्ष के समय यहां फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन न होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

सेना के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार गलवान घाटी में शुरू किये गए 20 बिस्तरों वाले फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन में सभी प्रकार के उपचार किये जा सकते हैं। इतनी ऊंचाई पर चिकित्सा सुविधा का शुरू होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। गंभीर स्थिति में किसी भी मरीज को या तो एयरलिफ्ट किया जाता था या सड़क मार्ग से 200 किमी से अधिक दूर लेह के फील्ड अस्पताल में लाया जाता था। फील्ड ड्रेसिंग स्टेशन में पैरामेडिकल टीम और एक डॉक्टर के साथ बंदूक की गोली से घायल सैनिकों या गंभीर रोगियों के इलाज के लिए सामग्री होगी। यहां प्राथमिक उपचार के बाद लेह के फील्ड अस्पताल में भेजा जा सकता है।

यह भी पढ़ेंः-संपत्ति विवाद में रायफल लेकर सड़क पर उतरी महिला, आंदोलनकारी के…

गलवान की घटना के बाद अगस्त-सितंबर में पैन्गोंग झील के दक्षिणी तट पर गोलियां चलाई गईं लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं थी। 1975 के बाद यह पहला मौका था जब एलएसी पर गोलियां चलाई गईं थीं। भारत और चीन दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में अपरिभाषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कई स्थानों पर आमने-सामने हैं। राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत ने कुछ बिंदुओं पर गतिरोध को कम किया है। कई क्षेत्रों को नो-पेट्रोलिंग जोन में बदल दिया गया है जबकि कुछ अन्य विवादित स्थानों से स्थायी समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें