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कागजों पर हो रही मनरेगा से कराए कार्यों की सोशल आडिट, डीडीओ ने देखी सच्चाई

मीरजापुर: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कराए गए कार्यों की सोशल आडिट कराई जाती हैं, लेकिन सब कागजों पर। जिला विकास अधिकारी श्रवण कुमार राय के कराए गए औचक निरीक्षण में मामला पकड़ में आया है। डीडीओ ने किसुनपुर छानबे, कोलाही लालगंज, नदना हलिया और नदौली पटेहरा ग्राम के सोशल आडिट टीम का अनुबंध समाप्त करने, बीएसएसी और बीआरपी की संविदा समाप्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस, सचिव ग्राम पंचायत व निरीक्षण न करने वाले एडीओ सहकारिता लक्ष्मीराम चंचल का वेतन रोकते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।

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वित्तीय वर्ष 2022-23 मेें निदेशालय से जारी सोशल आडिट कैलेंडर के अनुसार बीते 29 और 30 अगस्त तक विकास खंड कोन, पहाड़ी, हलिया, छानबे और जमालपुर के 21 ग्राम सभाओं में सोशल आडिट कार्य हुआ है। मनरेगा कार्य की सोशल आडिट में बीएसएसी और बीआरपी ने कमियों की जानकारी दी। आडिट के तीसरे दिन सोशल आडिट की एडीओ, सहायक लेखाधिकारी आदि से जांच कराया गया। जांच के दौरान पाया कि विकास खंड छानबे के ग्रामसभा किसुनपुर में दोपहर 12 बजे बैठक समाप्त होने की सूचना रोजगार सेवक ने दी। जांच अधिकारी एडीओ आइएसबी लालगंज महेंद्र कुमार ने कोलाही ग्राम प्रधान के बीमार होने के कारण बैठक नहीं होने की सूचना दी। हलिया के ग्राम सभा नदना में बैठक न होने की सूचना जांच अधिकारी एडीओ कृषि लालगंज संजय पटेल ने दी। वहीं दूसरी तरफ पटेहरा के नदौली के जांच अधिकारी व एडीओ सहकारिता लक्ष्मी राम चंचल ने जांच ही नहीं किया। हालांकि अन्य 17 ग्राम सभाओं में सोशल आडिट टीम की बैठक हुई।

ये है सोशल आडिट

जिला विकास अधिकारी श्रवण कुमार राय ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत शासन ने सोशल पर आडिट की व्यवस्था की गई है। निदेशालय ने सोशल आडिट को सुगम बनाने के लिए ब्लाक स्तर पर ब्लाक सोशल आडिट कोआर्डिनेटर (बीएसएसी) और ब्लाक रिसोर्स परसन (बीआरपी) का चयन करते हुए इनको बाकायदा प्रशिक्षण के बाद ही कराने का प्राविधान है। साथ ही सभी विकास खंडों में सोशल आडिट आरंभ होने से पूर्व एंट्री कांफ्रेंस के तहत जिला विकास अधिकारी सम्बंधित बीडीओ और अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा को इस कार्यक्रम में सहयोग तथा सचिवों को कागजात के साथ उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।

ऐसे होती है सोशल आडिट –

जिलाधिकारी ने तीन दिनों का सोशल आडिट कैलेंडर के अनुसार आडिट करने का आदेश तथा तीसरे दिन सोशल आडिट ग्राम सभा की खुली बैठक में नामित पर्यवेक्षक भी उपस्थित रहते हैं। बैठक की अध्यक्षता प्रधान के नहीं रहने पर वरिष्ठ व्यक्ति से कराया जाता है। एक ग्राम पंचायत की सोशल आडिट प्रक्रिया तीन दिन में पूर्ण होती है। इसमें प्रथम दो दिन कागजातों का एमआइएस रिपोर्ट से मिलान, श्रमिकों से डोर टू डोर सम्पर्क, गत वर्ष के कार्यों का शत प्रतिशत सत्यापन के साथ ही कमियां मिलने पर साक्ष्य संकलन किया जाता है। तीसरे दिन ग्राम सभा की खुली बैठक में बीआरपी से ड्राफ्ट प्रतिवेदन की तैयारी, साक्ष्य का स्पष्ट उल्लेख, सत्यापन निष्कर्षों का स्पष्ट प्रस्तुतीकरण कर प्रतिवेदन को पढ़कर सुनाया जाता है। ग्राम पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक, रोजगार सहायक से मिली कमियों के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की अपेक्षा की जाती है। कार्यदायी विभाग के प्रतिनिधि के पक्ष को सुनने के उपरांत ग्राम स्तर पर कार्रवाई योग्य बिंदुओं का निर्धारण करते हुए सोशल आडिट प्रतिवेदन को अंतिम रूप दिया जाता है। मनरेगा साइट पर अपलोड करते हैं।

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