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फेफड़ों के लिए बेहद खतरनाक है स्माॅग, जानें इससे बचने के उपाय

कानपुरः मौसम के बदलाव से तापमान लगातार कम हो रहा है और सर्दी में भी बराबर इजाफा हो रहा है। इसी बीच आसमान में फॉग और स्मॉग का प्रकोप भी बढ़ रहा है। फॉग जहां हमेशा नीचे रहता है तो वहीं स्मॉग हवा में तैरता रहता है और जहरीले कण सदैव ट्रांसफर होता रहता है। सर्दी ज्यों-ज्यों बढ़ेगी त्यों-त्यों स्मॉग बढ़ेगा और मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक असर डाल रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि यह प्रदूषण कई बीमारियों को जन्म देना शुरू कर देता है। जिसमें अस्थमा, निमोनिया, सर्दी-खांसी, फेफड़ों की फाइब्रोसिस और यहां तक कि दिल के संबंधित बीमारियां होने लगती हैं। सर्दियों के मौसम में स्मॉग और वायु प्रदूषण निश्चित रूप से लोगों को खासकर बुजुर्गों को मुश्किल में डाल सकता है, और फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है।

सर्दी के साथ आसमान में छाया स्मॉग पूरे शरीर को प्रभावित कर रहा है, खासकर फेफड़ों के लिए तो यह बहुत ही खतरनाक है। जिन लोगों को पहले से अस्थमा जैसी बीमारियां हैं, उन्हें स्मॉग काफी परेशान कर सकता है। जो स्वस्थ हैं, उन्हें भी इसके कारण अस्थमा जैसी बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। प्रदूषण हवा के साथ इकट्ठा हो जाता है, जो धुंध के साथ हमारे फेफड़ों तक पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है और आंखों में जलन की स्थिति होने लगती है। यह वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप बनता है। इसलिए, जब हवा में छोड़े गए प्रदूषक सूर्य के प्रकाश और गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, तो हवा में स्मॉग दिखाई देता है। स्मॉग का असर मुनष्य के सिर से लेकर पैर तक पड़ता है। जिसके कारण व्यक्ति को संक्रमण, सीने में दर्द, स्ट्रोक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, ब्रोंकियोलाइटिस, आंख, नाक और गले में जलन, फेफड़े के फाइब्रोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के साथ फेफड़े के कैंसर और वातस्फीति तक प्रभावित हो सकता है।

इस तरह करें बचाव
सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाने से बचें और घर पर ही रहकर योगा व अन्य प्रकार की कसरत करें। बाहर निकलना अगर मजबूरी हो तो अपने चेहरे पर मास्क लगाएं जिससे प्रदूषण का प्रभाव आपके फेफड़ों पर कम हो। अपने घर की सफाई अच्छे से करें घर में ज्यादा धूल जमा न होने पाए, बिस्तर कालीन को ढंग से धोएं और धूप लगाएं। घर को नियमित रूप से वैक्यूम क्लीन करें। स्वास्थ्य केंद्रों में फ्लू और निमोनिया के टीके उपलब्ध होते हैं। ऐसे में सर्दी के दौरान अपने फेफड़ों को स्वस्थ और रोग मुक्त रखने के लिए यह टीके अवश्य लगवाएं। अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। खुली हवा में सांस लेने के लिए घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। सेब, अखरोट, ब्रोकोली, बीन्स, जामुन, पपीता, अनानास, कीवी, गोभी, गाजर, हल्दी, हरी पत्तेदार सब्जियां और अदरक जैसे फेफड़ों के अनुकूल सब्जियां खाएं जो प्रतिरक्षा में सुधार कर सकते हैं और फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं।

स्मॉग में होती है जहरीली गैस
स्मॉग, फॉग और स्मोक यानी कोहरे और धुएं का कॉम्बिनेशन होता है। इसमें खतरनाक और जानलेवा गैसें जैसे सल्फर डाईऑक्साइड, बेन्जीन भारी मात्रा में पाई जाती हैं जो कि स्मोक बनाती है फिर फॉग से रिऐक्शन करके केमिकल कंपाउंड बनाती हैं जिससे स्मॉग बनता है। इस तरह के स्मॉग बनाने वाले ज्यादातर कम्पाउंड फैक्ट्रियों से निकले वाला धुआं, फसलों और पराली को जलाने से और ऐसे कई पावर प्लांट से आते हैं जहां ये खतरनाक गैसें नियमित रूप से इस्तेमाल होती हैं और रिलीज की जाती हैं।

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स्मॉग बनाम फॉग
साधारण शब्दों में कहें तो स्मोक यानी जानलेवा धुआं, स्मॉग को फॉग यानी कोहरे से अलग बनाता है। जहां फॉग लोगों में सांस संबंधी साधारण समस्याएं पैदा करता है वहीं स्मॉग काफी खतरनाक है। यह फेफड़े में कैंसर से जुड़े जहरीले तत्वों को डालता है जो कि ऐसे तत्व हैं जो अगर आपकी बॉडी में एक बार चले गए तो उनका बाहर निकलना बहुत मुश्किल है।

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