सीवर निर्माण में सुस्ती ने बढ़ाई ‘पौध’ विक्रेताओं की मुसीबत

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लखनऊः राजधानी के कई इलाकों में सीवर लाइन डाली जा रही है। यह काम शहर को स्मार्ट बनाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन कच्छप गति से चल रहा निर्माण कार्य लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। इसकी वजह से फूलों के पौधे बेचने वाले लोगों की कमाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, पर जिम्मेदार इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं।

बता दें कि हजरतगंज के करीब राणा प्रताप मार्ग में करीब 15 परिवार सालों से पौधे बेचने का काम करते हैं। इसी मार्ग पर पिछले दो माह से सीवर लाइन का काम चल रहा है। यहां पौधों की बिक्री एकदम घट गई है। पौधे की बिक्री घटना ही यह सबित करती है कि पर्यावरण पर इसका असर पड़ रहा है। निर्माण कार्यों के चलते शहर की हरियाली प्रभावित हो रही है। स्मार्ट सिटी कार्ययोजना के अंतर्गत शहर के राणाप्रताप मार्ग पर खुदाई चल रही है। इसमें पाइप लाइन डाली जानी हैं। इसका काम इतना धीमा है कि जहां खुदाई हो रही है, वहां महीनों से सड़क का पुनर्निर्माण नहीं हो सका है। इसका असर यह है कि अगर सड़क पर चलना है तो लोगों को धूल और गुबार का सामना करना ही पड़ता है। इन स्थानों पर अधिकतर जाम भी लगता है। यही नहीं लोगों की रोजी पर भी सीधे असर पड़ता है। धूल और गुबार वाले स्थानों पर खरीददार जाना ही नहीं चाहते हैं।

दुकानदारों ने बयां किया दर्द

बुद्देश्वर निवासी राजेश दीक्षित का कहना है कि हम सालों से यहां फूल बेचने का काम कर रहे हैं। यहां काफी दिनों से खुदाई का काम चल रहा है। डायवर्जन होने से लोगों का आना-जाना लगभग बंद हो गया है। यहां पौधों की 15-20 दुकानें लगती हैं। यहां से लोगों का निकलना बंद है, लिहाजा पौधों की बिक्री भी ठप है। जितने पौधे रोज बिकते थे, वह शहर की हरियाली भी बढ़ाते थे, अब इस पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। राजेश बताते हैं कि वह करीब 20 सालों से पौधे ही बेचते आए हैं। एक दिन में हजारों के पौधे बिकते थे, लेकिन अब दिन भर ग्राहक का इंतजार करना पड़ता है। बिक्री पूरी तरह से बंद है।

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यहां डहेलिया, गेंदा, डेंटस, केल और सूटलाइसियम महीनों से दुकान में डंप हैं। बालागंज निवासी पप्पू राजपूत बताते हैं कि सबसे ज्यादा संकट यहां पौधों के लिए पानी का है। पास में नल था, इससे पौधों को सींचा जाता था। अब मार्ग बंद होने से पानी दूर से आता है। 15 लीटर पाने के 5 रुपये अदा करना होते हैं। ठाकुरगंज निवासी हिमांशू ने बताया कि पत्तियों पर धूल जमने से यह खराब भी हो जाते हैं, इसलिए इनको रोज धोना पड़ता है। यदि ऐसा न किया जाए तो पाधों की बढ़वार रुक जाती है और इनको कोई खरीदेगा भी नहीं। यदि सड़क का सन्नाटा मिटे तो बिक्री भी बहाल होगी। जब लोग ज्यादा पौधे खरीदेंगे तो ज्यादा हरियाली दिखेगी।