Simdega: कलम और चाॅक से नन्हें सपनों में रंग भर रहे ‘पुलिस अंकल’

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रांची: झारखंड के इस नक्सल प्रभावित जिले में, पुलिसकर्मी अपने व्यस्त और कठिन कर्तव्यों से समय निकालकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए 16 स्थानों पर ट्यूटोरियल कक्षाएं चला रहे हैं। पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लास (Police Uncle Tutorial Class) के नाम से चल रहे इन सेंटरों से पढ़ाई कर इस साल करीब 1500 छात्र मैट्रिक परीक्षा में सफल हुए हैं. इनमें से 630 विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण की है।

पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लासेज (Police Uncle Tutorial Class) का यह अभियान पिछले चार साल से चल रहा है। इन केंद्रों से पढ़ाई कर अब तक 2500 विद्यार्थियों ने मैट्रिक की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया है। ये उन इलाकों के बच्चे हैं जहां बड़े पैमाने पर मानव तस्करी होती रही है। ये पिछड़े इलाके माओवादियों और अन्य नक्सली संगठनों के लिए काफी मुफीद रहे हैं। वे गरीब परिवारों के बच्चों और युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे हैं और उन्हें हिंसा की अंधेरी गलियों में धकेल रहे हैं। ऐसे में सिमडेगा जिला पुलिस की इस पहल के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

91 फीसदी बच्चे हुए उत्तीर्ण

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सिमडेगा एसपी सौरभ कुमार के मुताबिक, साल 2022 में 15 जगहों पर संचालित पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लास (Police Uncle Tutorial Class) में कुल 1643 बच्चों ने पढ़ाई की. इनमें से 91 फीसदी बच्चे सफल रहे. उत्तीर्ण हुए कुल 1488 बच्चों में से 630 को प्रथम तथा 741 को द्वितीय श्रेणी में सफलता मिली। 78 बच्चे तृतीय और 39 बच्चे सीमांत अंकों से उत्तीर्ण हुए। ट्यूटोरियल क्लासेज के सफल विद्यार्थियों में प्रीति कुमारी टॉपर रहीं, जिन्होंने 500 अंकों की परीक्षा में 463 अंक हासिल किये. प्रीति कहती हैं, ”पुलिस अंकल क्लास से मिले मार्गदर्शन से मेरी हर शंका दूर होती गई। जब भी किसी विषय में दिक्कत आई तो शिक्षकों ने खूब मदद की।

पहले साल में 2 हजार एडमिशन

यह अभियान सिमडेगा के तत्कालीन पुलिस कप्तान संजीव कुमार की पहल पर 2 अक्टूबर 2029 को शुरू किया गया था। उस वर्ष विभिन्न थाना क्षेत्रों में 19 पुलिस अंकल ट्यूटोरियल खोले गये। 170 पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों ने इन केंद्रों पर संसाधन व्यक्तियों के रूप में स्वेच्छा से भाग लिया। इस अभियान में जिले के सभी पुलिस स्टेशनों के प्रभारी अधिकारियों को ट्यूटोरियल (Police Uncle Tutorial Class) के बारे में जागरूकता फैलाने और ड्रॉपआउट बच्चों की पहचान करने का काम सौंपा गया और पहले ही वर्ष में 2000 से अधिक बच्चों ने इन केंद्रों में प्रवेश लिया।

ऐसे हुई अभियान की शुरुआत

इस अभियान की शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प है. तत्कालीन पुलिस कप्तान संजीव कुमार ने एक इलाके में जनता दरबार लगाया था। वहां एक 15 साल की लड़की अपना दुख लेकर आई। उन्होंने कहा कि वह पढ़-लिखकर किरण बेदी जैसा बनना चाहती हैं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि घर के लोग उन्हें बाहर कमाने के लिए भेजना चाहते हैं। संजीव कुमार ने अपने माता-पिता को समझाया और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में उनका दाखिला कराया। बाद में इलाके में सेना भर्ती शिविर के दौरान उन्होंने पाया कि कई ऐसे युवा भी वहां पहुंचे थे, जिनके पास इसमें शामिल होने के लिए मैट्रिक की न्यूनतम योग्यता भी नहीं थी. इस घटना के बाद उन्होंने गरीब परिवारों के बच्चों के लिए ट्यूटोरियल कक्षाएं शुरू करने का फैसला किया।

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अभियान शुरू हुआ तो यह सिलसिला आगे बढ़ता गया। बाद में जिले में आये एसपी शम्स तबरेज व वर्तमान एसपी सौरभ कुमार ने भी इसे गति दी। हालांकि कोविड काल के दौरान कुछ महीनों तक कक्षाएं बंद रहीं, लेकिन स्थिति सामान्य होते ही इन्हें दोबारा शुरू कर दिया गया। इस पहल के लिए सिमडेगा जिला पुलिस को क्षमता निर्माण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

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