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शुभेंदु अधिकारी ने PM को लिखा पत्र, चिटफंड मामले में CM ममता बनर्जी को लेकर कही ये बात

 

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट पश्चिम बंगाल में विभिन्न मामलों की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्यप्रणाली को लगातार फटकार लगा रही है। अब बीजेपी विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय एजेंसी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय एजेंसी शारदा और अन्य चिटफंड मामलों में ममता बनर्जी के खिलाफ जांच से बच रही है। उन्होंने दावा किया कि ममता की जांच में सीबीआई की आनाकानी से लोगों में गुस्सा पैदा हो रहा है।

शुभेंदु ने सोमवार को अपने पांच पन्नों के पत्र में आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग के एक होटल में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन से मुलाकात की और पैसे के लेन-देन पर चर्चा की। ममता बनर्जी की पार्टी से राज्यसभा भेजे गए एक नेता (कुणाल घोष) इस मामले में गिरफ्तारी के बाद करीब 34 महीने तक विभिन्न जेलों में रहे. उन्होंने कई बार दावा किया है कि ममता बनर्जी सबसे बड़ी लाभार्थी हैं और उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए। यहां तक कि शारदा मीडिया समूह को भी मुख्यमंत्री राहत कोष से करीब 7 करोड़ रुपये दिए गए, जिसका इस्तेमाल चिटफंड के खिलाफ जांच शुरू होने के बाद मीडिया घरानों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन देने में किया गया।

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यहां तक कि ममता बनर्जी की पेंटिंग खरीदने वाली चिटफंड कंपनियों को भी रुपये वसूलने की छूट दे दी गई। उन्होंने शारदा समूह से जुड़े तीन अखबारों का जिक्र किया, जिन्हें ममता सरकार ने राज्य के पुस्तकालय में रखने का प्रस्ताव पारित किया था। शारदा चिटफंड के खिलाफ जांच शुरू होते ही इन सभी अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया गया। यहां तक कि केंद्रीय एजेंसी ने भी अपनी चार्जशीट में जिक्र किया है कि ममता बनर्जी से जुड़ी पेंटिंग, उनके राहत कोष से पैसा चिटफंड कंपनियों को दिया गया लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई जांच नहीं हुई. शुभेंदु ने इस मामले में पीएम से हस्तक्षेप की मांग की है।

गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने भी सीबीआई पर तृणमूल से मिलीभगत का आरोप लगाया था। कई भाजपा नेता नाम न छापने की शर्त पर पश्चिम बंगाल में कार्यरत सीबीआई अधिकारियों पर रिश्वत के लिए तृणमूल नेताओं को बचाने और अधिकारियों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने से गुमराह करने का आरोप लगाते रहे हैं। वैसे भी चिटफंड मामले की जांच साल 2014 से शुरू हुई थी और आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई जिसे लेकर केंद्रीय एजेंसी खुद सवालों के घेरे में रही है।

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