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दो समुदायों में झड़प के चलते नहीं निकली शिव बारात, पुलिस चौकस, धारा 144 लागू

  मेदिनीनगर: पलामू जिले के पांकी में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर तोरण निर्माण को लेकर 15 फरवरी को दो समुदायों के बीच हुई हिंसा के बाद शनिवार को चौथे दिन भी धारा 144 लागू रही। इंटरनेट बंद है। हालांकि स्थिति सामान्य है। पुलिस पूरी तरह अलर्ट पर है। इसके बाद भी यहां वर्षों पुरानी परंपरा को कायम नहीं रखा जा सका। शिव बारात नहीं निकाली जा सकी। पनकी सहित आसपास के क्षेत्रों में महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले नहीं लगते थे। पनकी के शिव मंदिर में एक बार में पांच लोगों को ही पूजा के लिए अंदर जाने की इजाजत थी। महाशिवरात्रि के मौके पर लगभग कोई भी भक्त मंदिर नहीं पहुंचा। पलामू डीसी ए डोड्डे ने बताया कि रविवार से इंटरनेट सेवा शुरू हो जाएगी, स्थिति सामान्य है। उन्होंने बताया कि रविवार को दोपहर 12 बजे से शांति समिति की बैठक होगी। पनकी में स्थिति सामान्य है। एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि मामले में बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। मामले में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हिंसा के बाद 13 बदमाशों को गिरफ्तार किया गया जबकि पांच बदमाशों को बाद में गिरफ्तार किया गया। पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। अलग-अलग यूनिट में आरएपी के जवान और महिला पुलिस बल भी तैनात हैं। यह भी पढ़ेंः-Defamation Case: गुजरात हाईकोर्ट से राहुल गांधी को राहत नहीं, याचिका खारिज, सजा बरकरार चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह शनिवार को पलामू पहुंचे। वहां उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पनकी की निंदनीय घटना के बाद राज्य सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। यह एक प्रशासनिक चूक है। इसे छिपाने के लिए यह सब हो रहा है। अब इसे छिपाने के लिए यह सब हो रहा है। लोगों को मंदिर जाने से रोका जा रहा है। विधायक ने कहा कि पनकी में कई साल बाद भी शिव बारात नहीं निकली है। यह निराशाजनक है। पांकी कांड में सुरक्षा की दृष्टि से पिछले चार दिनों से पलामू में इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं है। उम्मीद जताई जा रही है कि 19 फरवरी से इंटरनेट सेवा बहाल हो जाएगी। इधर, इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं होने से बैंकिंग, रेलवे टिकट सहित कई अन्य आवश्यक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। नेट बैंकिंग नहीं होने के कारण बाजार में खरीद-बिक्री में काफी परेशानी हो रही है। कुछ निजी कंपनियों के कर्मचारी बेतला और गढ़वा बॉर्डर पर पेड़ों के नीचे अस्थाई कार्यालय बनाकर काम कर रहे हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)