Shiva Navratri, उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे शिवनवरात्रि महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को भगवान महाकाल का शेषनाग शृंगार किया गया। भगवान के दिव्य स्वरूप को देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। शाम को बाबा महाकाल के आंगन में शिव विवाह के अवसर पर बिजली की जगमगाहट देखकर आनंद की अनुभूति होती है। झांझ, डमरू, ढोल, शहनाई आदि वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि ने कानों में मिश्री घोल दी।
देश भर से पहुंच रहे श्रद्धालु
महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान नौ दिनों तक भगवान महाकालेश्वर का अलग-अलग स्वरूपों में शृंगार किया जाएगा। इस आनंदोत्सव में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं।
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शिव-नवरात्रि के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह परंपरा के अनुसार कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में प्रथम पूजा हुई। पुजारी पं.घनश्याम शर्मा ने भगवान का पंचामृत से अभिषेक कर पोडशोपचार पूजन कराया। इसके बाद भगवान कोटेश्वर और उमा माहेश्वरी को हल्दी लगाई गई। नैवेद्य आरती और मंत्र-पूजन के बाद सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा शुरू हुई।
पहनाए गए नये वस्त्र
भगवान के पंचामृत अभिषेक के बाद पुजारी घनश्याम शर्मा के मार्गदर्शन में 11 ब्राह्मणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का एकादश-एकादशनी रुद्रपाठ से अभिषेक किया गया। पूजन का यह क्रम 8 मार्च 2024 तक प्रतिदिन जारी रहेगा। दोपहर करीब एक बजे भगवान का हल्दी-चंदन से शृंगार कर भोग आरती की गई। शाम की पूजा के बाद दोपहर 3 बजे भगवान का शेषनाग के रूप में शृंगार किया गया। भगवान महाकाल को नवीन गुलाबी वस्त्रों के साथ करधनी, दुपट्टा, मुकुट, मस्तक-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भांग, चंदन और मेवों से शृंगार किया गया। साथ ही भगवान महाकाल को शेषनाग के साथ मुकुट, मस्तकमाला, नागकुंडल और फलों की माला धारण कराई गई। शिवनवरात्र के तीसरे दिन शनिवार को फाल्गुन कृष्ण सप्तमी पर भगवान का मेघाच्छादित शृंगार किया जाएगा।
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