शंकराचार्यों ने की गौ हत्या बंद करने की मांग, कहा- राजनीतिक दलों को लेना चाहिए ये संकल्प

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रायपुरः गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग को लेकर शंकराचार्यों ने भारत बंद का ऐलान किया है। 10 मार्च को भारत बंद के साथ ही वे 14 मार्च को संसद तक पैदल मार्च भी करेंगे। उन्होंने कहा कि हम गौ हत्या (cow slaughter) में शामिल लोगों की सूची बना रहे हैं। पहली सूची चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (9 अप्रैल) को जारी की जाएगी और इसमें शामिल लोगों को हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राजनीतिक दलों को गोहत्या रोकने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले ही गाय माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए।

जारी करेंगे सूची

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार शाम रायपुर में बड़ा बयान देते हुए गोहत्या रोकने में नाकाम पार्टियों को पाप का भागीदार बताया है। शंकराचार्य ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले कसाइयों और भाइयों की सूची जारी करेंगे। इस सूची में शंकराचार्य ने भाई उन्हें कहा है जिन्होंने गौ माता की सेवा की है, जिन पार्टियों ने गौ हत्या रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया उन्हें कसाई कहा है।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ‘लोकसभा चुनाव की आचार संहिता जारी होने के बाद कसाई बंधुओं की सूची जारी की जाएगी। ऐसी सूची हर घर तक पहुंचायी जायेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक धार्मिक भूमि है। यहां आकर अच्छा लग रहा है। संत समागम शुरू हो गया है।

राम राज में दिखना चाहिए बदलाव

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राजनीतिक दलों को गौ हत्या रोकने का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले ही गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए, जो लोग गौ हत्या रोकने का समर्थन न करने वाली पार्टियों को वोट देंगे उन्हें भी गौ हत्या का दोषी माना जाएगा।

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शंकराचार्य ने इस दौरान कहा कि देश में अमृत काल चल रहा है, फिर भी गौ हत्या नहीं रुक रही है। कहा गया है कि अयोध्या रामलला मंदिर निर्माण के बाद राम आएंगे। राम आए हैं तो कुछ बदलाव दिखना चाहिए। राम के आने के बाद कम से कम गौहत्या बंद होनी चाहिए। बता दें कि राजिम कुंभ कल्प में शामिल ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती और कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा राजिम पहुंचे हैं।

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