चौरी-चौरा शताब्दी समारोह के समापन पर हुआ गोष्ठी का आयोजन

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लखीमपुर खीरीः उत्तर प्रदेश शासन एवं क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी लखनऊ के निर्देशों के अनुपालन में महाविद्यालय में चौरी-चौरा शताब्दी समारोह के समापन अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

प्राचार्य डॉ. हेमन्त कुमार पाल ने विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि चौरी-चौरा की घटना को क्षेत्रीय इतिहास के तौर पर समझने की आवश्यकता है तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस घटना के मूल कारणों को भी समझा जाना चाहिए। क्योंकि इतिहास में क्षेत्रीय जनमानस में भी राष्ट्रीयता का पुट होता है। इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ. नूतन सिंह ने चौरी-चौरा की घटना के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस घटना के प्रति नवीन विचार विमर्श करने की आवश्यकता है।

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इसी क्रम में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने कहा कि चौरी-चौरा काण्ड को व्यापक फलक पर समझने की आवश्यकता है। निःसंदेह यह गांधी के असहयोग आन्दोलन के धैर्य समाप्ति के पश्चात् स्वतः स्पूर्ति घटना क्रम के तौर पर इतिहास में अंकित है परन्तु भारत के गांवों में भी राष्ट्रीयता मजबूत हो रही थी। साथ ही इस घटना से सत्ता की प्रकृति और इसकी संरचना को भी समझना बहुत आवश्यक है। विचार गोष्ठी का संयोजन एवं संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ. सुभाष चन्द्रा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. जे.एन. सिंह, डॉ. नीलम त्रिवेदी, डॉ. डी.के. सिंह, डॉ. विशाल द्विवेदी, डॉ. इष्ट विभु, कार्यालय अधीक्षक अरविन्द सोनकर, लेखाकार पी.के. जोशी के साथ-साथ शिक्षणेत्तर कर्मचारी मौजूद रहे।

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