आ गया पत्तेदार सब्जियों का सीजन, उन्नत किस्मों का चयन कर कमाएं मोटा मुनाफा

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लखनऊ : किसानों ने सही समय पर फसल की बुवाई की है, तो इससे उपज भी अच्छी ही मिलने की संभावना बनी हुई है। हर फसल की बुवाई पर सीजन और समय का बड़ा महत्व होता है। आने वाले दिनों में यदि सही समय पर मांग वाली फसल तैयार कर बाजार पहुंचा दिया जाए, तो उसकी बिक्री भी अच्छी होगी। हालांकि, मुनाफे के बारे में किसान अच्छी तरह से जानता है और इसीलिए अगस्त मंे सब्जियों के बीज तेजी से बोए जा रहे हैं। इस माह में तमाम फसलों के बीज छिड़के जा सकते हैं। सर्दी में पत्ते वाली सब्जी बनाए रखने के लिए यह सीजन बेहतर है।

पत्ते की सब्जी पाने के लिए किसान खेत खाली कर गोबर की खाद डालें और उसकी जुताई कर दें। इसके बाद अच्छी फसल में गाजर की उन्नत किस्म बोएं। इसमें पूसा मेघाली, पूसा केशर, हिसार गेरिक, पूसा जमदग्नि, नैन्टीज और चैंटनी आदि ढाई माह बाद अच्छा मुनाफा देगी। यह फसल लगभग सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है। हल्की चिकनी दोमट या बलुई दोमट अनुकूल होती है। बस एक बात का ध्यान देना चाहिए कि खेत में पानी न जमा होने दें। इसी तरह शलजम की खेती की जाती है। यह पूरे साल की खेती है। शलजम मे उन्नत किस्म के बीज ही बोना चाहिए। जुलाई और अगस्त के महीने में मानसून सीजन होने के कारण किसान के लिए यह महीने काफी फायदेमंद होते हैं।

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फसलों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है और जमीन में काफी अच्छी नमी भी उपलब्ध रहती है। सब्जी फसलों के बोए गए बीज जल्दी अंकुरित हो जाते हैं और पौधों का विकास काफी तेजी से होता है। गाजर की बुवाई के लिए सबसे पहले किसान भूमि को अच्छी प्रकार जुताई कर समतल बना लें। मिट्टी भुरभुरी हो जाए, इसके लिए हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं। उचित मात्रा में गोबर की सड़ी हुई खाद डाल दें। उसके उपरांत गाजर की उन्नत किस्में, जिसमें पूसा केसर, घाली, पूरा यमदग्नि, नैंटस आदि की बुवाई कर सकते हैं। मानसून के सीजन मे शलजम की खेती करना किसानों के लिए लाभकारी होता है। शलजम की खेती के लिए बलुई और रेतीली मिट्टी एकदम उपयुक्त होती है। इस जड़ वाली फसल की खेती से किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है। बाजार में इसकी मांग हमेशा ही रहती है। फूलगोभी की खेती भी पूरे साल की जाती है। अगस्त में बोई गई फसल की अच्छी कीमत मिल जाती है। इसकी अच्छी उपज के लिए ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। इसके लिए 15 से 25 सेंटीग्रेड का तापमान एकदम उपयुक्त होता है। पालक की खेती भी अगस्त में की जाती है। पालक को सब्जी के रूप में या जूस के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी मांग पूरे साल रहती है। बारिश के मौसम में पालक की खेती ज्यादा अच्छी उपज होती है। इसकी बढ़वार इन दिनों ज्यादा रहती है। धनिया की खेती से किसानों को दोहरा फायदा होता है। किसान पहले पत्तियों को काट कर बेच सकते हैं, उसके बाद धनिया तैयार होने पर इसके बीजों को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है, इसीलिए इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक होती है।

  • शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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