ग्वालियर: केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि भारत अमृतकाल से शताब्दीकाल की ओर बढ़ रहा है। सभी का संकल्प होना चाहिए कि 2047 में स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में भारत पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति में आरोग्य भारती जैसे संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि यदि हमें सुंदर कल चाहिए तो हमारे लिए आज स्वस्थ रहना जरूरी है। इसी भावना के साथ आरोग्य भारती संस्था देशभर में स्वस्थ जीवनशैली जीने की कला सिखा रही है।
आरोग्य भारती के कार्यों को सराहा
केंद्रीय मंत्री सिंधिया रविवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित आरोग्य भारती के दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सम्मेलन के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोग्य भारती के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था नर सेवा और नारायण सेवा के मूल मंत्र के साथ कार्य में जुटी है। इस अवसर पर आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मुधुसूदन देशपांडे, मिहिर कुमार, स्वामी नारायण, प्रवीण प्रभाकर मंच पर उपस्थित थे।
तनाव से बढ़ रहीं बीमारियां
केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि आज समय बदल गया है। भागदौड़ भरी जिंदगी और काम के दबाव के कारण लोग तनाव में जी रहे हैं। शारीरिक बीमारियों के साथ-साथ मानसिक बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसे रोकने के लिए आरोग्य भारती को नए शोध और नवाचार सामने लाने का काम भी प्राथमिकता से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तनाव के कारण पाचन तंत्र खराब होने के साथ-साथ गठिया और मानसिक विकार भी बढ़ रहे हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए आरोग्य भारती को सेवाभावी युवाओं को प्राथमिकता से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
भारत की सोच वसुधैव कुटुम्बकम की है
भारत आज भी इसी सोच और विचार पर कायम है। हमारी सोच समाज और राष्ट्र तक सीमित नहीं है, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की है। यही कारण है कि कोरोना काल में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में न केवल दो वैक्सीन बनीं, बल्कि देशवासियों को सफलतापूर्वक लगाने के बाद यह वैक्सीन विदेशों में भी भेजी गई। इतना ही नहीं, आज हमारे योग को विदेशों में भी अपनाया गया है। पूरा विश्व योगमय हो गया है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में स्वास्थ्य और सेवा पर विशेष जोर दिया गया है। आज भारत न केवल आर्थिक शक्ति के रूप में बल्कि आध्यात्मिक शक्ति के रूप में भी उभर रहा है।
यह भी पढ़ेंः-सागर कुमार ने कहा- हिन्दू समाज बर्दाश्त नहीं करेंगे सनातन के खिलाफ हो रही साजिश
हमारी सोच, हमारी विचारधारा वैश्विक है। इसलिए वसुधैव कुटुम्बकम के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 में एक पृथ्वी, एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य की बात कही। विश्व को सामूहिक रूप से अपने कल्याण की भावना उत्पन्न करनी होगी और इसका मूल सिद्धांत यह है कि मनुष्य स्वस्थ रहेगा तो समाज, पृथ्वी और विश्व स्वस्थ रहेगा।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)