अजमेरः अजमेर की एक सिविल अदालत ने बुधवार को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर संकट मोचक महादेव मंदिर की मौजूदगी से जुड़ी याचिका को स्वीकार कर लिया और सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया। सिविल अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर तय की है।
Ajmer Dargah : तीन पक्षों को जारी की गई नोटिस
यह याचिका हिंदू सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सरिता विहार निवासी विष्णु गुप्ता ने वकील शशि रंजन कुमार सिंह के जरिए 26 सितंबर को अदालत में दायर की थी। बुधवार 27 नवंबर को इस मामले में सभी गुण-दोषों का अध्ययन करने और वादी से पूछताछ करने और अन्य पक्षों की राय जानने के बाद अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर तय की गई है। मामले में जिन तीन पक्षों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें दरगाह कमेटी अजमेर, अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय नई दिल्ली और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण शामिल हैं।
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Ajmer Dargah : नसीरुद्दीन चिश्ती ने की निंदा
साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया है। कोर्ट से अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर को भगवान संकट मोचन महादेव का मंदिर घोषित करने और वहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में दरगाह समिति द्वारा अनाधिकृत कब्जे का दावा किया गया है। याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से दरगाह परिसर का संपूर्ण सर्वेक्षण करने का भी अनुरोध किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले दरगाह दीवान के बेटे सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने उस याचिका की निंदा की है जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह महादेव मंदिर पर बनाई गई है। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी चिश्ती ने कहा था, “हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं और इसका जवाब देंगे।”
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