मध्य प्रदेश में आदिवासी योजना में घोटाला! कांग्रेस का आरोप… की राष्ट्रपति से जांच की मांग

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भोपाल: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक शिकायत के आधार पर मध्य प्रदेश में “आदिवासी जैविक खेती योजना” के लिए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 74 करोड़ रुपये की राशि में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जांच की मांग की है। इसे पूरा कराने की मांग की जा रही है। सिंह ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र के साथ भोपाल के साकेत नगर निवासी पुनीत टंडन की शिकायत भी संलग्न की है।

फर्जी सूची बनाकर हुआ राशि का गबन-कांग्रेस

इसमें कहा गया है कि राज्य के जनजातीय समुदाय के लिए “जनजातीय जैविक खेती योजना” के लिए वर्ष 2016-17 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 74 करोड़ रुपये की राशि में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। राज्य सरकार को कार्रवाई करने की जरूरत है। बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री के मुताबिक टंडन ने कहा है कि मध्य प्रदेश के 24 जिलों में आदिवासी हितग्राहियों की फर्जी सूची बनाकर राशि का गबन किया गया है। केंद्र सरकार ने विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के किसानों के लिए 90 करोड़ रुपये और अन्य आदिवासी किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिए 54 करोड़ रुपये आवंटित किये थे।

आवेदक ने पहले ही इसकी शिकायत हर स्तर पर की थी, जिस पर कलेक्टर मंडला ने तीन अधिकारियों की कमेटी गठित कर जांच करायी थी। 11 मार्च 2022 को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में समिति ने बताया कि उक्त शिकायत की जांच हेतु ग्राम केन्द्र विकास खण्ड मण्डला, जिला मण्डला में हितग्राहियों से चर्चा की तथा व्यक्तिगत पूछताछ एवं ग्राम भ्रमण के उपरान्त यह पाया गया कि कृषक सूची में ब्राह्मण, तेली, कुर्मी भेजे गए थे। , लोहार आदि जातियाँ पाई गईं। उन्हें किसी भी तरह की जैविक सामग्री नहीं दी गई।

23 जिलों में भी आदिवासी जैविक खेती योजना में घोटाला का आरोप 

आवेदक की शिकायत का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह आवेदक ने राज्य के अन्य 23 जिलों में भी “आदिवासी जैविक खेती योजना” के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत राशि में घोटाले की शिकायत की है। मंडला जिले की जांच से पता चला है कि पूरे प्रदेश में इस योजना के बजट का दुरुपयोग किया गया है। किसी भी जाति और समाज के किसान का नाम लिखकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आदिवासी किसानों के नाम पर जैविक खेती मद की राशि निकाल ली। सिंह ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि राज्य के वंचित वर्गों के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत राशि के गबन के मामले की जांच राष्ट्रपति कार्यालय में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में करायी जाये। दोषी अधिकारियों एवं अन्य आपूर्तिकर्ताओं के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही हेतु संबंधित को उचित निर्देश दिये जायें।

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