NEET paper leak case, नई दिल्ली: नीट परीक्षा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से अब तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह स्पष्ट है कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है। अगर बच्चों को परीक्षा के दिन पेपर मिला और उन्होंने उसे याद कर लिया, तो इसका मतलब है कि पेपर स्थानीय स्तर पर ही लीक हुआ। लेकिन अगर हमें नहीं पता कि इसमें कितने छात्र शामिल थे, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
इसमें कोई शक नहीं कि पेपर लीक हुआः कोर्ट
मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि पेपर कैसे लीक हुआ। अगर यह सोशल मीडिया के जरिए हुआ, तो इसका मतलब है कि पेपर बड़े पैमाने पर लीक हुआ होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि पेपर सेट करने की पूरी प्रक्रिया क्या है। इसे प्रिंटिंग प्रेस में कैसे और किसके पास भेजा गया। प्रेस से बैंक में कैसे भेजा गया। इससे यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि पेपर कहां से लीक हुआ।
कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि पेपर लीक हुआ है। अब देखना होगा कि यह कैसे हुआ है और कितना हुआ है। चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि अगर परीक्षा रद्द नहीं की गई तो फर्जीवाड़ा कर पास हुए छात्रों की पहचान कैसे होगी। उनकी पहचान के लिए क्या किया गया है। चीफ जस्टिस ने सीबीआई को अब तक की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इस बीच आप लोग मिल बैठकर आम सहमति बना लें। हम संविधान पीठों की तरह एक नोडल वकील नियुक्त कर सकते हैं ताकि वह सभी पक्षों की लिखित दलीलें एकत्र कर कोर्ट के समक्ष पेश कर सके। कोर्ट ने कहा कि हम सरकार से जानना चाहते हैं कि लाभार्थियों की पहचान के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है।
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चीफ जस्टिस ने कहा कि 67 छात्रों को 100 फीसदी अंक मिले हैं। हमें यह भी समझना होगा कि अंक देने का पैटर्न क्या है। कोर्ट ने कहा कि अगर एक बार के लिए हम यह मान भी लें कि हम परीक्षा रद्द नहीं करते हैं तो फर्जीवाड़ा कर पास हुए छात्रों की पहचान के लिए क्या किया जा रहा है। चीफ जस्टिस ने मेहता से कहा कि आप सरकार से पूछें कि क्या हम साइबर फोरेंसिक विभाग में डेटा एनालिटिक्स प्रोग्राम के जरिए पता नहीं लगा सकते।
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