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प्रकृति को बचाने के लिए 2030 तक उठाने होंगे ठोस कदम, नहीं तो गंभीर होंगे परिणाम

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक के. एन गोविंदाचार्य ने कहा कि जिस तरह से प्रकृति का विद्वंश हो रहा है वो चिंता का विषय है अगर वर्ष 2030 तक कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए तो परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।

गोविंदाचार्य ने अपने ‘यमुना दर्शन यात्रा’ के क्रम में दिल्ली पहुंचकर शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आज पर्यावरण सहित नदियों की स्थिति चिंताजनक है। भारत ने 60 वर्षों में 50 फीसदी तक जैव विविधता खो दी है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात को समझना होगा कि प्रकृति भूगोल का निर्माण करती है मनुष्य नहीं।

गोविंदाचार्य ने कहा कि वेश-भूषा, भाषा, भोजन इन सबको निर्धारित करने में भूगोल का ज्यादा महत्व है। उन्होंने कहा कि विकास की आड़ में जिस तरह से प्रकृति को नष्ट किया जा रहा है वो चिंता का विषय है। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन इन्हीं मुद्दों पर चिंतन कर रह है और प्रकृति को संरक्षित करने के लिए अपना योगदान देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि यमुना दर्शन यात्रा के तहत वो आज दिल्ली में पहुंचे हैं। यह यात्रा 15 सितंबर को प्रयागराज में समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि इसके पहले वो गंगा यात्रा सहित नर्मदा नदी की यात्रा कर चुके हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि यात्रा समाप्त करने के बाद वो तीनों यात्राओं पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। जब रिपोर्ट तैयार हो जाएगी तो सरकार की बात सरकार से और जनता की बात जनता से करेंगे।

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उल्लेखनीय है कि यमुना दर्शन यात्रा को समाजसेवी गोविंदाचार्य 28 अगस्त को यमुनोत्री (हिमालय) से प्रारंभ करने वाले थे, लेकिन वहां भूस्खलन के कारण मार्ग बंद हो जाने से यह यात्रा उत्तराखंड के विकासनगर डाकपत्थर से प्रारंभ की गई। यह यात्रा 14 सितंबर को प्रयागराज में संपन्न होगी। अभी वो विकासनगर, सहारनपुर, कुरुक्षेत्र, पानीपत होते हुए दिल्ली पहुंचे हैं। यहां से यात्रा वृंदावन, मधुरा, आगरा, मुरैना फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा, कालपी, हमीरपुर. महोबा बांदा, चित्रकूट होते हुए 14 सितंबर को प्रयाग पहुंचेगी।

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