नई दिल्लीः कर्म फलदाता शनि देव की वक्री चाल ज्योतिष के अनुसार काफी अहम मानी जाती है। शनि 23 मई को अपनी ही राशि मकर में अगले 141 दिन के लिए वक्री होने जा रहे हैं। यानी इस दिन से शनि अपनी स्वराशि में उल्टी चाल चलने लगेंगे और फिर 11 अक्टूबर को पुनः मार्गी होंगे। जिससे समाज एवं देश पर कुछ परेशानियां आ सकती हैं। ज्योतिष विदों का मानना है कि आमतौर पर देखा जाता है कि शनि अपनी वक्री अवस्था में कार्यों को देरी से पूरा करवाते हैं। इस बार शनि का गोचर और वक्री होना इसलिए महत्वपूर्ण भी है क्योंकि यह गोचर श्रवण नक्षत्र में हुआ है, श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव हैं, चन्द्रमा मन का कारक है और साथ ही जल का कारक है। ऐसी स्थिति में जब शनि का गोचर श्रवण नक्षत्र और राहु का गोचर रोहिणी नक्षत्र में चल रहा है और दोनों ही नक्षत्र चन्द्रमा के हैं और राहु एवं शनि दोनों गृह को बीमारी एवं संक्रमण का कारक माना जाता है। शनि एवं राहु का चन्द्रमा के नक्षत्र में गोचर से जल प्रलय जैसे तेज बारिश, बादल का फटना, बाढ़ आदि दैवीय आपदा के अलावा जल से होने वाले संक्रमण जैसे हैजा, मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड आदि जल के कारण होने वाली बीमारियों, संक्रमण में तेजी आ सकती है। वहीं राहु इस समय वृष राशि में गोचर कर रहा है। जो इस राशि में सदैव ही भारत के लिए बड़ी विपदा लेकर आता है। राहु का वृषभ में गोचर भगवान कृष्ण का जन्म भी चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में रहते हुआ था। ज्योतिष के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में पाप ग्रहों का गोचर जनता को बेहद कष्ट देने वाला होता है। अभी हाल ही में 13 फरवरी को राहु ने रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किया है। जहां वह आगामी 20 सितंबर तक गोचर करेंगे।
देश पर पड़ चुके हैं यह प्रभाव
1947 में देश के विभाजन के समय सांप्रदायिक तनाव, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या तथा 2002 के गुजरात दंगों के समय भी राहु वृष राशि में गोचर कर रहे थे। वृष राशि में राहु का गोचर प्रत्येक 18 वर्ष के अंतराल पर कोई बड़ी विपदा ले कर आता है।
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26 मई के चंद्रग्रहण के बाद बढ़ेगी और परेशानी
राहु के रोहिणी में गोचर के चलते इस वर्ष मानसून असामान्य रहेगा। जिसके कारण कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ आने से किसानों को कष्ट पहुंचने के योग बन रहे हैं। 20 सितंबर तक का समय राहु के रोहिणी नक्षत्र में गोचर के चलते बड़े नेताओं तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अति संवेदनशील रहेंगे। 26 मई के चंद्रग्रहण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के साथ सीमा समझौते एवं अन्य मामलों में तनाव देखने को मिल सकता है। ज्योतिष विदोंके अनुसार हमें संक्रमण एवं तमाम बीमारियों से बचने के लिए अगले कुछ माह तक आम जनमानस को सावधान एवं साफ स्वच्छ माहौल में रहने की आवश्यकता है।