Wednesday, January 22, 2025
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Sanjauli Mosque Dispute: जिले में निकाला गया शांति मार्च, दिलाई गई ये शपथ

Sanjauli Mosque Dispute, शिमला: शिमला के उपनगर संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर चल रहे विरोध के बीच शुक्रवार को शहर की सड़कों पर सद्भावना मार्च निकाला गया। मस्जिद मुद्दे पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए वामपंथी संगठनों ने अपने सहयोगियों के साथ शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी के बैनर तले यह सद्भावना मार्च निकाला। इसमें सेवानिवृत्त आईएएस व प्रोफेसर, मुस्लिम समुदाय, कॉलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भाग लिया और शांति व सौहार्द का संदेश दिया। शहर के विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सुबह 11 बजे उपायुक्त कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। बाद में मार्च शेर-ए-पंजाब से शुरू होकर लोअर बाजार व नाज होते हुए निकला। इस दौरान शांति व सौहार्द का संदेश दिया गया।

राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की दिलाई शपथ

मार्च में जुटे लोग हाथों में विभिन्न नारे लिखे बैनर लिए हुए थे। बैनरों पर लिखा था- अनेकता में एकता, स्नेह व ज्ञान सद्भाव का प्रतीक, सभी समुदायों को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार, सांप्रदायिकता मानवता की दुश्मन, प्रदेश व शिमला में शांति व आपसी सौहार्द बनाए रखने की अपील। सद्भावना रैली में शामिल लोग रिज मैदान पर स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास पहुंचे और यहां सांप्रदायिक सौहार्द, शांति और भाईचारा, राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की शपथ ली गई। इस सद्भावना मार्च में सीआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, पूर्व मेयर संजय चौहान, पूर्व माकपा विधायक राकेश सिंघा, आप नेता राकेश अजटा, सेवानिवृत्त आईएएस दीपक शानन, अजय शर्मा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। भाजपा और मस्जिद गिराए जाने को लेकर आंदोलन कर रही देवभूमि संघर्ष समिति से जुड़े लोगों ने इस सद्भावना मार्च से दूरी बनाए रखी।

इस मौके पर शिमला नगर निगम के पूर्व मेयर संजय चौहान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शिमला में लंबे समय से सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रह रहे हैं, लेकिन अब विवाद को लेकर माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों, बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों ने शहर में अमन-चैन बनाए रखने के लिए यह सद्भावना मार्च निकाला है। शिमला में ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश की गई, जिसका यहां का आम नागरिक कभी समर्थन नहीं करता और न ही शिमला के इतिहास में कभी ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि 175 साल पुराने शिमला नगर निगम में सांप्रदायिक या जातिगत आधार पर इस तरह की अशांति और दंगे कभी नहीं हुए।

मुस्लिम भी हुए शामिल

उन्होंने जनता से आपसी सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। कुछ लोग इस शहर का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। शिमला का माहौल तब भी नहीं बिगड़ा था, जब 1984 में सिख दंगे हुए थे। शांति मार्च में मुस्लिमों ने भी हिस्सा लिया शहर में निकाले गए इस सद्भावना मार्च में शहर के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कुतुब मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद पीरू ने कहा कि वह पिछले पच्चीस सालों से शिमला में रह रहे हैं और आज तक यहां ऐसा माहौल कभी नहीं बना। सरकार और प्रशासन को बाहर से आने वाले सभी लोगों का सत्यापन करना चाहिए, ताकि यहां का माहौल खराब न हो। शांति मार्च के माध्यम से शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने का संदेश दिया जा रहा है।

देवभूमि संघर्ष समिति ने सद्भावना मार्च पर किया कटाक्ष

संजौली मस्जिद विवाद मामले में हिंदू संगठनों द्वारा गठित देवभूमि संघर्ष समिति ने शिमला में निकाले गए शांति एवं सद्भावना मार्च पर सवाल उठाए हैं। संघर्ष समिति ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है कि जब ऊना में नाबालिग प्राची राणा की गला रेतकर हत्या की गई थी, तब यह सद्भावना कहां थी? इसी तरह मनोहर हत्याकांड, राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड और दलित स्कूली छात्र की चाकू घोंपकर हत्या के दौरान सद्भावना रैली क्यों नहीं निकाली गई?

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देवभूमि संघर्ष समिति प्रवासियों के पंजीकरण और अवैध मस्जिदों के निर्माण के मुद्दों पर हिमाचल के सभी जिला मुख्यालयों पर शनिवार 28 सितंबर को भी प्रदर्शन करेगी। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर 5 अक्टूबर को नगर निगम कोर्ट संजौली मस्जिद विवाद पर कोई फैसला नहीं देता है, तो पूरे प्रदेश में जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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