ढाई साल में बाल वधू बनी समता ने तोड़ी 18 साल पुरानी बाल विवाह की बेड़ियां

0
92

जोधपुर: महज ढाई साल की मासूम उम्र में बाल विवाह (child marriage) की बेडिय़ों में बंधी बालिका वधु समता ने आखिर 18 साल बाद सारथी ट्रस्ट की डॉ.कृति भारती की मदद से बाल विवाह (child marriage) के बंधन से मुक्ति पाई। सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ.कृति भारती के संबल के बाद समता ने बाल विवाह (child marriage) से मुक्ति की जंग में कदम बढाकर पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लगाई थी। जिस पर अब जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 के न्यायाधीश प्रदीप कुमार मोदी ने समाज को बाल विवाह के खिलाफ कड़ा संदेश देकर समता के बाल विवाह निरस्त का ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

ये भी पढ़ें..तालिबान ने ढूंढ निकाली अपने आका की कार, प्लास्टिक में लपेट…

तिंवरी तहसील निवासी दैनिक मजदूर की पुत्री करीब 21 वर्षीय समता का वर्ष 2003 में बाल विवाह ओसियां तहसील निवासी युवक के साथ करवा दिया गया था। बाल विवाह के समय समता की उम्र महज ढाई साल की ही थी। कुछ सालों पूर्व बालिका वधु समता के ससुराल वालों ने लगातार गौना कर विदा करने का दबाव बना दिया। जिससे बीएड में अध्ययनरत समता को खुद के शिक्षक बनने के ख्वाब टूटते दिखकर अवसाद में आ गई।

सारथी का संबल, कोर्ट में दस्तक –

बालिका वधु समता के अवसाद की स्थिति में सहपाठी मित्र रेखा ने हौसला दिलाया। रेखा ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती के बाल विवाह (child marriage) निरस्त के मुहिम की जानकारी जुटाई। इसके बाद समता के साथ डॉ.कृति भारती से मुलाकात कर पीड़ा बयां की। वहीं सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती की मदद से समता ने जोधपुर पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लगा कर वाद दायर किया ।

दोनों पक्षों की सहमति से निरस्त हुआ विवाह –

पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह (child marriage) निरस्त का वाद दायर होने के बाद डॉ.कृति भारती ने कानूनी प्रक्रिया के साथ ही अप्रार्थी पक्ष को भी समझाकर सहमति से बाल विवाह निरस्त करवाने की काउंसलिंग भी की। जिसमें अप्रार्थी के अधिवक्ता दुर्गाराम ने भी सहमति जता कर सहयोग किया।

समता की ओर से डॉ.कृति भारती ने पारिवारिक न्यायालय में पैरवी करते हुए बाल विवाह और आयु प्रमाण के तथ्यों से अवगत करवाया। जिस पर पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 के न्यायाधीश प्रदीप कुमार मोदी ने करीब 18 साल पहले समता के ढाई साल की उम्र में हुए बाल विवाह (child marriage) को निरस्त करने का ऐतिहासिक आदेश किया। वहीं न्यायाधीश मोदी ने समाज को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बाल विवाह से मासूम बच्चों का वर्तमान और भविष्य दोनों खराब हो जाते हैं। सबको मिलकर बाल विवाह की कुरीति को मिटा बचपन संरक्षण करना होगा। तभी सदियों से चली आ रही कुप्रथा का अंत हो पाएगा।

न्यायालय के बाल विवाह (child marriage) निरस्त का आदेश सुनाने के साथ ही समता और रेखा खुशी से उछल पड़ी। समता ने कहा कि कृति दीदी की मदद से बाल विवाह के खिलाफ जंग जीत गई। अब मैं आजाद होकर अपने शिक्षक बनने के सपने को पूरा कर पाऊंगी। इस संबंध में डॉ. कृति भारती ने बताया कि समता का बाल विवाह निरस्त होने के बाद अब उसके शिक्षक बनने के सपने को पूरा करने और बेहतर पुनर्वास के प्रयास किए जा रहे हैं।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…