नई दिल्ली: गैस, एलर्जी, जुकाम, उल्टी, कैल्शियम, विटामिन-12 समेत कुल 49 दवाओं के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। शुक्रवार को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया है।
हर महीने होती है तीन हजार दवाओं की जांच
ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया राजीव सिंह रघुवंशी ने मीडिया को बताया कि हर महीने 3000 दवाओं के नमूनों की जांच की जाती है। मानकों की जांच में फेल होने वालों की रिपोर्ट वेबसाइट पर जारी की जाती है। इसी क्रम में इस महीने करीब 49 दवाओं के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं, जिनकी सूची वेबसाइट पर डाल दी गई है। इन सभी दवाओं को बाजार से वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। इन दवाओं की सूची में डायबिटीज की दवा, दर्द निवारक, आई ड्रॉप और बुखार, उल्टी की दवा शामिल हैं।
बाजार से होंगी वापस
राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि सीडीएससीओ द्वारा दवाओं की की जाने वाली जांच और निगरानी से कम प्रभावकारिता वाली दवाओं के प्रतिशत में भारी कमी आती है। जांचे गए करीब 3000 नमूनों में से 49 दवाओं को कम प्रभावकारिता (एनएसक्यू) पाए जाने पर वापस लेने को कहा गया। कुल नमूनों में से करीब 1.5 फीसदी ही कम प्रभावकारिता वाली पाई गईं। सीडीएसओ ने अक्टूबर 2024 में 67 दवाओं पर परीक्षण किए थे। इनमें से 53 केंद्रीय प्रयोगशाला में और 18 राज्य प्रयोगशालाओं में जांचे गए।
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कई प्रतिष्ठित कंपनियां भी शामिल
इसमें पाया गया कि 49 प्रतिष्ठित कंपनियों की दवाएं घटिया स्तर की हैं, जबकि 4 दवाएं नकली हैं। नकली पाई गई दवाओं में टैमसुलोसिन और ड्यूटैस्टराइड, कैल्शियम, विटामिन डी3 टैबलेट (शेलकल), पैंटोप्रेजोल और डोमपेरिडोन और नैंड्रोलोन डेकोनेट इंजेक्शन शामिल हैं। फेल हुए नमूनों वाली 49 दवाएं हैं जिनमें मेट्रोनिडाजोल, डोमपेरिडोन, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, मेटमॉर्फिन हाइड्रोक्लोराइड, डाइक्लोफेनाक सोडियम, कैल्शियम ग्लूकोनेट, ओमिप्राजोल, डोमपेरिडोन, निमेसुलाइड, पैरासिटामोल, सिप्रोफ्लोक्सासिन, पैंटोप्रेजोल, एमोक्सिसिलिन शामिल हैं।
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