नई दिल्ली: 16 साल पहले 18 फरवरी 2007 को दिल्ली से लाहौर जा रही दिल्ली-अटारी समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में एक के बाद एक कई बम धमाके हुए थे। इस बम ब्लास्ट में 68 लोगों की जान चली गई थी। 18 फरवरी 2007 की वो काली रात जब करीब 11:53 बजे पानीपत के दीवाना स्टेशन के पास भारत और पाकिस्तान के बीच हफ्ते में दो बार चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में धमाका हुआ था। विस्फोट में जान गंवाने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। हादसे में मारे गए 68 लोगों में से सिर्फ 49 की शिनाख्त हो सकी है। मरने वालों में 16 बच्चे भी शामिल हैं थे। जबकि मृतकों में से 19 की अब भी पहचान नहीं हो पाई है।
ये भी पढ़ें..हिमाचल के नए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने ली शपथ, उत्तर प्रदेश से रहा है खास रिश्ता
हादसे में 13 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। मृतकों के शवों को घटनास्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर गांव महाराणा के कब्रिस्तान में दफना दिया गया है। जांच में पता चला कि अटारी एक्सप्रेस, अब समझौता एक्सप्रेस, 18 फरवरी 2007 को रात 10।53 बजे पुरानी दिल्ली स्टेशन से अपने गंतव्य अटारी (पंजाब) के लिए रवाना हुई थी। रात 11 बजकर 53 मिनट पर जब ट्रेन हरियाणा के पानीपत के पास दीवाना स्टेशन से गुजर रही थी तो दो जनरल कोच (जीएस 03431 और जीएस 14857) में दो बम फटे और कोच में आग लग गई। विस्फोट के बाद उसी ट्रेन के एक अन्य डिब्बे से बम से लदे दो सूटकेस बरामद किए गए। इनमें से एक को डिफ्यूज कर दिया गया है। जबकि दूसरा नष्ट हो गया।
घटना की शुरुआती जांच में पता चला है कि ये सूटकेस मध्य प्रदेश के इंदौर के कोठारी मार्केट में अभिनंदन बैग सेंटर में बनाए गए थे, जिन्हें आरोपियों ने 14 फरवरी 2007 को खरीदा था। हमले में देश में मंदिरों पर चरमपंथी हमलों को हवा दी गई थी। इनमें गुजरात में अक्षरमधाम मंदिर (24 सितम्बर 2002) और जम्मू में रघुनाथ मंदिर (30 मार्च और 24 नवम्बर 2002) और वाराणसी में संकटमोचन मंदिर (07 मार्च 2006) में दोहरे विस्फोट शामिल हैं। आरोपी मंदिरों में हुए बम धमाकों का बदला बम से लेना चाहता था।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)